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प्रश्नोतर पंचावनमो
१६६ प्रमुख ग्रन्थ जोज्यो, गीतार्थ गुरु पूछेज्यो, अनइ पर्व पवइ जे उपधान तपो विशेषमांहि पोसह करावीयइ छइ ते सहु प्राचार्य मम्मत पणइ १४ पाखीना पडिकमणानी परि आचरणाअइ करावीयइ छइ, सगला गच्छनी तपोविधिमाहि उपधाने पोसह कह्या, ते भणी निरविरोधीनी आचरणा सहू मानइ, पुणि किणई गच्छनइ प्राचार्यइ पर्व पखइ पोसह व्रत श्रावकनइ नथी लिख्या, तउ नित्य पोसह आचरणायइ किम मनाइ? निरती नजर राखी विचारिज्यो । एवंकारइ व्रतरूप पोसह आगम ग्रन्थनइ अभिप्रायइं पर्वतिथइंजि श्रावक व्रतधारीनइ प्ररूप्यउ छइ, तथा भरतचक्रवर्तिइं तथा कृष्णवासुदेवई तथा अभयकुमारई तथा विजयराजायई जे देवता साधिवानइ काजि लघुबांधवनइ काजि तथा मेघवर्षानइ काजि तथा विजलीना उपद्रव टालिवानइ काजि ३ तथा ७ दिन लगता पोसह कर्या शास्त्रे लिख्या ते पोसह व्रत रूप नथी किन्तु अभिग्रह विशेष रूप छइ, जे भणी भरत अने कृष्ण ते बेऊ अविरति ४ गुणठाणइ, तेहनइ पोसह सामायिक देशावकाशिक व्रत घटइ नहीं, अभयकुमारि वरसाति निमित्ति पूर्वसंगत देवतानइ आराधिवा निमित्ति देवताना ध्यान करतां पोसह कर्या कह्या, ते पोसह व्रत किम कहाइ ? वली जिम अठ्ठम एकठा कीधा तिम पोसह पुणि ३ एकठा ऊचर्या हुस्यइ, पुणि ऋषिमतीयांनइ ३ पोसह एकठा न थाइ, अविधिई पोसह लेतां देवता किम प्रसन्न थया ? ते भणी ए पोसह व्रत न थाई,
ए पोसह पांचमइ गुणाठाणानउ न हुवइ, अठ्ठम पुणि पच्चShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com