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________________ १७८ प्रश्नोत्तर चत्वारिंशत् शतक मेलइ जणात, परं दिनगणनामांहि ३० दिन संकेलाइ नहीं, अगइ 'अभिवढियम्मि वीसा' ए व्यवस्था आचरणानइ मेलइ न मनाइ, आपणइ गीतार्थांनी आचरणा मानिवी, पंचक दिन हानि न करवी, ते भणी चउमासा थकी ५० दिने पयुषणा गृहिज्ञात करिवीजि, अनइ श्रीजिनशासनइ न्यायई आषाढ तथा पोस, ए २ मास टाली बीजा दश मास वधताइ नथी. तउ कालचूला किहां मानीयइ छइ ? । तथा यतियई भगवतीना छम्मासी योगवहतां कालचूला जूई गिणाय छइ, एवं इहां पिण लोकीक टीपणानइ मेलि श्रावण भाद्रवादि मास वधतांर्ड चउमासाथी १ मास तथा २० दिने. एतलइ ५० दिने पर्युषणा करिवी, तथा संवच्छरी पडिकम्यां पछी जघन्यई ७० दिन तिहां रहिवउ छइ तीयइ स्थानकनइ, एतलइ उत्कृष्टइस्यु कारणविशेषइ अधिकाई दिन रही. यइ, श्रीकाती चउमासउ काती पसवाडइ श्रीछठइ अंगि श्रीज्ञाताधर्मकथांगमांहि चउथइ अध्ययनि सैलक-पंथक यतियांनइ ज्ञातई नाम खारीनइ लिख्यु छइ, लोकव्यवहारइई दीवाली थकी १५ दिने कार्तिकी पूर्णिमा थाई । श्रीमहावीरना मोक्षकल्याणक वदी ३० थाइ, तेह थकी १५ दिने कार्तिक चतुर्मासक थाइ, वली जइयइ आसाढ चउमासाथकी वीसे दिने अधिक मासानइ मेलि पजूमणा करता तिवारइ यति पजूमणाथी १०० दिनइ काती चउमासी करता कि न करता ? तउ ७० दिनथी अधिकउही यति पछइ रहइ तेणइजि क्षेत्रइ, एवं इहां घणी विचारणा छइ, कितली क इहां युक्ति लिखीयइ ? मुंहडामुंहडइ मिल्यां युक्ति कहाइ, पुणि सर्व Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035209
Book TitlePrashnottar Chatvarinshat Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherPaydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
Publication Year1956
Total Pages464
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size24 MB
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