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नमो नमो निम्मलदंसणस्स
आगम-संबंधी-साहित्य
आगामीय-मुक्काति-पादि
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Folder - 19 आगमीय साहित्य विशेष
कुलकिताबें 7 4 भाषा-प्राकृत, संस्कृत कुलपृष्ठ 1048 इस अट्ठारहवे फोल्डर में हमने 8 प्रिन्टेड प्रकाशनों को सामिल किया है जिस में आगमिय सुक्तावली, ऋषिभाषित, अंगसूत्र--उपांग-प्रकीर्णकसूत्र--नन्दी आदि सूत्र एवं गाथादि अनुक्रम, अंग-उपांग-प्रकीर्णक-नन्दी आदि सूत्रो का विषयानुक्रम को हमने चार प्रतोमें प्रिन्ट करवाया है |
पूज्य आगमोद्धारक आचार्य श्री सागरानंदसूरीश्वरजी ने आगमो की वृत्ति, | चूर्णि, भाष्य, नियुक्ति आदि संपादित किए है | हमने सोचा की वो प्रत/पोथी-युग
था, अब पुस्तक-युग है, वो 'प्रिन्टिंग' का ज़माना था अब 'इंटरनेट' की बोलबाला है, हमने सोचा चलो फिर इस प्रतो को A-4 साईझ के पुस्तक-रूपमें तबदील करके, इन की उपयोगिता बढ़ाकर प्रिंटिंग और Net publication दोनों प्रकार से रख दे|
फिर हमने एक विशेष फोर्मेट बनाया, ऊस के बिच में मूल प्रतके एक एक पृष्ठ अलग-अलग रख दिए. फिर जो आगम संपादित हो रहा हो, उसके प्रत्येक पेज पर ऊस आगम का क्रम, आगम का नाम, आगम का प्रकार, आगमप्र क्रम हमने लिख दिए, ऊस लाइन के नीचे ऊस आगम का जो सूत्र/गाथा या 'अ'कारादि अनुक्रम का मूल अक्षर इत्यादि जो भी उस पेज पे चल रहे हो, वे सभी अंको को प्रत्येक पेज पर लिख दिए, बायीं तरफ प्रत सूत्रांक और 'दीपरत्न' सूत्रांक लिख दिए, ऊस प्रतमें कोई विशेष विषयवस्तु हो या अध्ययनादि की सूचना हो तो उसे नीचे फूटनोट में लिख दिए | वो सब मेटर प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों रूप से प्रकाशित कर दिए | आप इंटरनेट पर 'www.jainelibrary.org' खोलकर, search में जा कर Deepratnasagar लिखिए और पाइए मेरे सभी प्रकाशन 'टोटल फ्री' |
ये प्रिन्टेड एवं इंटरनेट दोनों तरह से उपलब्ध है, इंटरनेट से कोई भी इसे फ्री डाउनलोड कर के भी प्राप्त कर शकता है |
- मुनि दीपरत्नसागर Muni DeepratnaSagar's 585 Books [1,03,130 Pages] |
Mobile: +91-9825967397
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दीपरत्नसागर की 585 साहित्य...... | Page 22 of 36 | .....कृतिया के 31 फोल्डर्स का परिचय।