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________________ आगम संबंधी साहित्य [भाग-3] नन्दी-आदि-सप्तसूत्राणि-गाथा-अकारादि [ज-कार] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: नन्दी-आदि गाथा-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य) प्रत सूत्रांक यहां देखीए दीप क्रमांक के लिए देखीए ACASSESOLASSACREASE ४ जे केइ पत्थिवा तुम्भ ४ २५९ जेण जीवंति सत्ताणि १३० जे पावकम्मेहि धर्ण मणुस्सा ७ १६६% जे फेड सरीरे सत्ता . १७१ जेण पुणो जहाइ जीवियं ७ ४९९ जे बंभचेरभट्ठा ११२१ जे गिद्धे कामभोगेसु ७ १३२ जेण भिक्खं बलिं देमि १२३ जे भावा अकरणिज्जा . . दूजे चेव अंधयारे २७८+ जेण व घरद भवगो ५ ८+ |जे भावा दसवेभालिअम्मि ५ ३३२ है जे चेव पडिच्छण. ९४ जेण रोहंति बीयाणि १२५ जे माणिया सययं जे जत्तिआ अ हेऊ ५४ जेण व जंव पडुच्चा ५ १३ जे व कंते पिए भोए जे जत्थ जया जइया १२०१ जेणं बंधं वहं घोरं ५ ४२९* जे य वेयविऊ विप्पा जे जत्थ जया भग्गा . ३ ११८६. जेणुद्धरिया विजा३ ७६९ जे यावि दोसं . १२०६० जे जहि दुगुछिया खलु ४ ४४३ जेणुवगहिओ वच्चा जणुषगहिओ वह ३ १५३२ जे यावि दोसं समुवेद जे जंमि उमि य कया ४ १८०+ जेणेविस्सरियं णीए ३ + ६३ जे यावि दोसं समुवेइ ७ जेट्ठा कित्तिय साई ३ ६४६ जे ते देवेहिं कया ३ ५५७ जे यावि होइ निबिजे जेवामूले आसाढ सावणे २८७ जे न वंदे न से कुप्पे ५ १८९४ जे लक्खणं च सुविणं च ७ जेट्ठामूलो आसाढ सावणे . १००७* जे निआर्ग ममायंति५ २५७जे बज एए उ सदा जेट्ठा सुदसण जमालि०३ १२६४ जे पव्वइत्ताण महत्वयाई ७३७* जे विजमतदोसा : ६ ५०१ 'सवृत्तिक आगम सुत्ताणि ~3190
SR No.035073
Book TitleAagam Sambandhi Saahitya 03 Aagam Sootradi Akaaraadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages431
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_index
File Size92 MB
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