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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[स-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
यहां
देखीए
रा०२० जी०२१ प्रज्ञा०२२ ।। ६४ ॥
सणपाणकासमुद्दग० सण्णी पं० पुच्छा सत्तगदुगदुगपंचग सस? जाइकुलकोडि सत्तण्डं थोवाणं सत्तपाणूई से थोचे सत्त पाणणि से थोवे सत्त भए अट्ठ मंए . ससभयविप्पमुक्को
'२१-१७८सू.10
सूर्य०२३ २५-८५1
जं० २५ २२-२६९० २७-८३६
प्रकी०२७ २५-७३ २७-१४३० २७-१५३८
२७-२५४ २७--१७१९
दीप
क्रमांक
के लिए देखीए
२२-२४ सस्थग्गहणं विसभकखणं २७-१०८ समयखेत्ते णं भंते! २२-२५१सू० | सस्थेण सुतिक्खेणवि २५-७ | समय नक्षत्ता जोगं
२५-१०३ | सहहगा पत्तियगा २७-१२५१ समयं वकंताणं. २२-११२ | सई रुवे गंधे रसे २७-१२८२ २७-११५८ , ... 'सब्बेसु कसापसु २७-१४०९ समासीस परिच्छिणं
२५-५ सद्धाधितिउट्ठाणुच्छाह ' २४-९९ समाहारा सुप्पाण्णा २७-५०६ | सासु आसबेसु अ २७-१४३१ समिईसु पंचसमिभो २७-१२ | सन्निहिए सामाणे
२७-९९९ समुइण्णवेयणो पुण २७-१४९८ | सफाए सज्झाए
२२-१६ २०-२०७ | सभाए र्ण सुधम्माए । २१-१४०सू० | समुदणेसु य सुविहिय २७-४८५ | सभाए ण सुहम्पाए २०-३९सू० २७-४४७ समगं णक्खत्ता जोयं २ ४-२५ सम्मग्गमग्गसंपट्टियाणं २७--११६९ | समणिद्धयाए. बंधो २२-१९२. सम्मत्तनाणदंसणवर २७-४६४ | समणेण सावरण य २७-१८०६ सम्मत्तस्साहिगमे
२५-८२ | समणोत्ति अहं पढौ २७--१२५ सम्मत्तं समिओ २७-११४५ | समणोमित्ति य,
सम्मइसणचत्तं २७-११३५ । समणोऽहं ति य, २७-२५३२ । सम्महंसणरत्ता !
کار و یا
ARMANAERZERE
सत्तमी य पवंचा उ सत्तरिसयं जिणाण व सत्तावीसं जोयणसयाई सत्ताहं कललं होइ सत्तेव य कोडिसया
,, कोडीमो सत्तेव सहस्साई
TAXIKINANANA
'सवृत्तिक आगम
२७-७४४ २७-६०६ २२-२२५ २७-१५०१ २७-१३२५ २७-१०४
सुत्ताणि
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४
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