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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[प-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्रांक
औ० १९
सूर्य०/२३
यहां
रा० २०
देखीए
जी०२१ प्रज्ञा०२२/
जं. २५ नि० २६ प्रकी०२७
॥ ५४॥
दीप
क्रमांक
के लिए देखीए
पुढविकाइया आहारकम्म०२२-२१०सू० | पुण्णेहिं हायमाणेहि २७-४९६ | पुब्बमकारियजोगा २७-१४०० पुढ विकाइयाणं० अणंतर० २२-१४०० पुण्णोवि जंबुद्दीवं २७-९८४ | पुवमकारियजोगो २७-२१९ - आहारट्ठी २२-३०६सू० | पुत्तं जीवय ऽरिडे'
२२-१६
२७-१५११ केवइया २२-२८०सू०पुत्ता चयंति मित्ता
२७--६२९२ केवड्या २२-१०६०, मित्ता य पिया २७-१८१७ | पुबंबिराहियवंतर० २७-१६९७
केवइयं २२-९६सू० पुनामधिजसउणेसु २७-९०२ | पुबंगे सिद्धमणोरमे पुढविदगभगणिमारभ०२७-७८४ पुष्फा जलया थलया
.२५-९३ २७-१७६९ | पुष्काणं बीआर्ण तय०६७-७१० पुवाघरदाहिण
२७-१७६७ पुढविदगाणं च रसं २४-२८ | पुरओ वहति सीहा २७-१०२१ | पुब्बि० अनियाणो ईहिऊण २७-२२१
' २५-८८ | पुर(कुरु) मंदरमावासा ' २१-३३॥ | पुरिच कयपरिकम्मो पुढी भोगाहिता २१-९ पुरिसवरपुंडरीओ २७-५९० |, कारियज्ञोगो २१-९५सू० पुरिसवेदस्स णं भंते ! क०
२७-२२० पुढबीकाइए णं भंते २२-२६१सू० केवतियं बंध० २ १-५८सू० कारिय० ताहे मलि० २७-१५१३ पुढवी य सकरा बाल्या २२-१० | पुरिसस्सगंभंते०का अंत०२१-५६सू० | पत्रण हो बिजय २७-२११३ पुणवस्सूणा पुस्सेण २७-८७० | पुरिसस्स गंभंते ! कालं ठिती २१-५४० | पुस्सऽस्सिणिमिगसिररेषई २७-८५७ पुण्णाई खलु आउसो २७-१७ | पुरिसे भंते ! पुरिसेत्ति २१-५५सू० | पुस्साबणे अ अस्सायणे २५-१०५ पुण्णा य इकवीसा २७-११०६ पुब्बभवियवेरेणं २७-१७६४ | पुस्सो हत्थो अमिई २७-८७४
PRACTICAREERNALPUR
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
॥२४॥
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