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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
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प्रत
सूत्रांक यहां देखीए
रा० २०
सूर्य/२३
चं०/२४ काजं० २२
जी०२१ प्रज्ञा०२२
प्रकी०२७
॥२०॥
दीप
نام بنایا
क्रमांक
के लिए देखीए
कहि णं भंते ! बादरवाउ० २२-४०० | कहि णं देअडे पण्णते २५-१४सू० | कंदा य कंदमूला य २२-१०८ ,,,बेइंदियाणं २२-४१सू० ,, सूरियामे णामं० २०-२७सू० | कंबलसाडे f० आवेढिय० २२-१९८सू० ,, भवणवासि० २९-११७सू० ,, हेमवए
२५-७८सू० | कंबूयं कन्नुण्ड ,, रयण मेह० २२-४३सू० , भवणवासीणं २२-४६० काइयवाइयमाणसिय २७-१३२९ ., वाण देवाणं २२-४७सू० ., वेमाणियाणं २२-५१सू० काइंदीनयरीए
२७-६६२ , वाणमंतराणं २१-१२२सू० , सोहम्मगदेवाणं २२-५२सू० काऊण तिहिं पिउणं । २७-८८९ ,, विजयस्स २१-१३६सू० कहि पडिहया लेसा
२४-२ | काऊण नमुक्कार ,,वेमाणियाणं २१-२०८सू० , सिद्धा
कागसुणगाण भक्खे २७-५४१ ,, सिद्धाणं ठाणा २२-५४सू० ।
. २२-१५९ | का देवदुगई
२७-१०१ , सुट्टियस्स २१-१६२सू०
२७-१२०८ कामभुअंगेण दट्ठा २७-३८५ "मणुस्साणं पजत्ता० २२-४५सू० | कंगू या कंडुइया
२२-३१ कामविडंबणचुक्का ,, महाविदेहे० २५-८७सू० | कंचणपुरम्मि सिट्ठी २७-१६५८ कामासत्तो न मुणइ २७-३८८ " , उत्तर०, २५-८८सू० | कंतारे दुभिक्खे
२७-१६८ | कारणमकारणेणं
२७-८०८ , मालवंते हरिस्सह २५-९३सू०
२७-१४७० का रंति व का लेणा २४-९३८ ,,, मंदरए पव्वए सो०२५-१०६सू० | कंदप्प कोळुयाइय २७-१२९६ | कारनामयनीसंद. "मंदरपञ्चए पं० २५-१०७० .. देवकिचिस २७-१०२ | कालत्तएचिन मयं
२७-४५ ..., मंदरे पव्वए पं० २५-१०५सू० | ,
२७-१२९५ | काला असुरकुमारा २२-१४६
'सवृत्तिक आगम
सुत्ताणि
PA॥२०॥
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