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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादि
[अ - कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: उपांग+प्रकीर्णक सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत
सूत्राक
औ० १९
यहां
णमोऽत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स श्रीआगमोद्धारसंग्रहे भागः २
देखीए
प्रज्ञा०२२
प्रकी०२७
औपपातिकाद्युपांगानां चतुःशरणादिप्रकीर्णकदशकस्य च सूत्रगाथा कारादिः
दीप
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सूत्राद्यादि
क्रमांक के लिए देखीए
आगमांकः
सूत्राधा
| अगंतूणं समुग्धातं अगीअत्थस्स बयणेणं
अग्गिम्मिय उदयम्मियः २७-८०१ | अग्गिस्स दाहिणे पाले २७-११३४ | अश्वम्भुयगुणवंते
अपिछनिमीलियमेत्तं २१-९३ | अछि पब्बं बलिमोडओ २७-११६ | अच्छिमलो कन्नमलो
१९-८ अच्छे अ सूरियावत्ते २९-४१३ | अच्छेरयं च लोए
२२-२३० | अजयणाए पकुब्बति २७-८२९ २७-७५५ अजीवपरिणामे ० कतिविधे २२-१८४सू० २७-१५२१ | अजीवपज्जवाणं भंते !काविहा २२-११८सू० २६-२ अजोरुह वोडाणे
२२-४१ २७-२१ | अज्झयणमिणं चित्तं
२२-५ २१-२१ | अम्झबसाणविसुद्धी २७-२४२१ २२-९३ | अदुहट्टियचित्ता
१९-५ । २७-५६८ | अट्ठमयठाणजड्ढो २७-६२८ २५-६७ | अट्टविहकम्ममूल.
२७-७०२ २७-१५८२ अट्ट सप आसीए
२७-२०१२
HANNAKWANINI
अदुल्लहमेसजं अउणाण उइ सहस्सा अउणासीइ सहस्सा अकसाइणो सम्वत्थोवा अकंडेऽचिरभाविध अकित्ताणं समुग्घायं अगणिअ जो मुक्खसुहं
'सवृत्तिक
आगम सुत्ताणि
... जहा १९ लिखा है वहा 'औपपातिक' आगम समझना, इसी तरह जहा २६ लिखा है वहा 'निरयावलिका-पञ्चक' आगम समझना. ... अ-कारादि अनुक्रममे जो सूत्राद्यक दिये है वे सब सूत्र या गाथा इत्यादि को आगमोद्धारश्री संपादित प्रतमे दिये गये क्रमांक अनुसार समझना
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