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आगम संबंधी साहित्य
[भाग-3] अंग-सूत्रादि-अकारादि
[भ-कार + म-कार ] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: अंग-सूत्रादि-अकारादिः (आगम-संबंधी-साहित्य)
प्रत सूत्रांक
यहां
देखीए
दीप क्रमांक के लिए
८आ. एस. सूत्राचादि. सूत्रे. सूत्रायः सूत्राद्यादि. सूत्रे. सूत्राद्यः सूत्राचावि. सूत्रे , सूत्राधड १४ उपा. १०स्थानमंतेति से नणं सेट्टियस्स४ भावे पओगवीस०९ १४नि भीतं दुतं रहस्स .१० ६७४१५ अंत११ स.
समं चेव अपच्चखाणकि०१२ ७८ | भावे फलसाहणया८ २४०नि. सुयगा भुयगवती चेव १३ ५६४ अनु. १२ म. | मारण्णं वहमाणस्स चचारि भावे जीवस्स सीरियस्स ९ ९४नि. भूएहि न विरुज्झेज्जा ९६१००
१६ प्रश्न. १३वा.* आसासा १० ३१४ | भासमाणो न भासेज्जा ९ ४६१ भूताभिसकाइ दुगुंछमाणे ९ ५९९*
&१७ विपा. ॥१०॥ | भारस्स जाता मुणि मुंजएज्जा९ ४०९० | भिक्खं पविद्वेण मएउज्ज दि8८ २२८नि- भूयाई च समारंभ ९ ५१०*
| भावइरिया उ दुविहा ८ ३१०नि- भिक्खागा नामेगे एवमाहंसु ८ २४७ भूयाभिसंकाए दुर्गुळमा० ९ | मावणाजोगसुद्धप्पा ९ ६११० मिक्खागा नामेगे एव०समाणे०८ २८३ मेइयचियाउबचिया १२ भावतह पुण नियमा ९ १२३नि. भिक्खागा नामेगे एव०समाणे २८ २८४ | | भेउरेसु न रज्जिज्जा ८ भावपरिण्णा दुविहा ८ ३५४नि. भिक्खु च खलु पुडा वा ८ २०१ | भोगकरा भोगवती १० १ भावसमाहि चउन्विह ९ १०६नि. भिक्ख मुयच्च तह दिट्ठधम्मे९ ५७३* भोगे अवयक्खंता १३ ३० भावसमोसरणं पुण ९ ११७नि. भिक्खू य अन्नयरं अकिच्च
अथ मकार | भावे उ णिरयजीवा ९ ६३नि. ह्याणं पडिसेवित्ता १२ ३९९ मइउग्गहो य गहणुग्गहो य ८ ३२१नि.
॥१०९॥ |मावे गहमाहारो ८ ३०नि. भीए य पलायंते ९८२नि. मच्छा य कुम्मा य सिरीसि०९ ३९५
देखीए
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'सवृत्तिक
आगम
सुल्ताणि
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