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________________ [भाग-1] श्री आगमीय-सूक्तावलि-आदि आगमीय सूक्तावलि [व्यवहारसूक्तानि] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण पुन: संकलित: आगमीय-सूक्तावलि-आदि (आगम-संबंधी-साहित्य) आगमीयसूक्तावली ॥४९॥ व्यवहारस्य सूक्तानि आगमीयसुभाषितानि मो या ५ परीणामियबुद्धीए उचवेओ होइ समणसंघाओ। ___ अणणाएँ जिणिदाणं जे ववहारं ववहरंति ॥ (३१७-१-१०) ____कजे निच्छयकारी सुपरिच्छिय कारगो संघो॥ (३१४-२-९)/१५ गते उ कजाकारी तगराए आसि तम्मि उ जुगम्मि। ६ आसासो वीसासो सीयघरसमो य होइ मा भाहि। जेहिं कया ववहारा अक्खोभा अन्नरज्जेसु ॥ ३१७-१-१५ अम्मापिलिसामाणो संघो सरणं तु सब्बेसि ॥ (३१५-१६)/१५ परिवार इहि धम्मकह वादि खमगे तहेवऽहमिहि । ७ सीसो पहिच्छओ वा कुल गण संघो न सोग्गति नेति । | विजा रायणियाए गारवा इत्ति भट्ठहा होइ॥ (३१८-२-३) जे सचकरणजोगा ते संसारं विमोएंति ॥ (३१५-१-१४)/१६ न हु गारवेण सका ववहरिलं संघमज्झयारम्मि । ४ सीसो पडिच्छतो था आयरिओ वा न सोग्गई नेय। | नासेड अगीयस्थो अप्पाणं चेव कजं तु॥ (३११-१-३) जे साधकरणजागात संसारा विमापति। (३१५-१-१) इत्यागमीयसूक्तानि ९ पिहिसंघाय जहिउं संयमसंघायगं उबगो णं। ___णाणचरणसंघायं संघायं तो हबद संघो। (३१५-२-७) 4 ---x---x---x---x --- १० नाणचरणसंघायं रागहोसेहिं जो विसंघाए। ___ अबुहो गिहिसंघायंमि अप्पाणं मेलिओन से संघो (३१५-२-७) ११ णाणचरणसंघायं रागहोसेहिं जो विकिसुए। सो भमिही संसारे चउरंगगतं अणवदग्गं ॥ (३१५-२-७) १२ तुक्षेण लहइ बोहिं बुद्धोबि य न लभते चरितं तु । उम्मग्गदेसणाए तित्थंकरासायणाए ये॥ (३१५-२) १३ इहलोए य अकित्ती परलोए दुग्गई धुवा तेसि । ॥४९॥ “आगम-संबंधी-साहित्य" श्रेणी [भाग-1] ~61
SR No.035071
Book TitleAagam Sambandhi Saahitya 01 Aagamiy Sooktaavalyaadi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages96
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size20 MB
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