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________________ आगम (४५) "अनुयोगद्वार"- चूलिकासूत्र-२ (मूलं+वृत्तिः ) ......... मूलं [१३८-१४२] / गाथा [१०७-११२] .... - पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४५]चूलिकासूत्र २]अनुयोगद्वार मूलं एवं हरिभद्रसूरिजीरचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [१३८१४२] गाथा ||१०७११२|| HASHNE श्रीअनु देषणारगाणं तेयाकम्माई दुविहाईपि सहाणवेसध्वियसरीराई, सेसाणं षणस्सनिवजाणं सदाणारालियसारसाई । इवाणिं जस्स ण भणिय दाना क्रियाणि हाार.वृत्ताद भणीहामो-'असुररुमाराणं भंते प्रत्यादि, असुराण वेचब्बिया बद्धेल्लया असंखेाजा, असंगाहिं पसप्पिणीहि कालओ, सहेव खेत्तओ असं-IC ।। ९२॥ खेग्जाओ सेतीओ पतरस्स असंखेजतिभागो, तामिण सेढीण विक्वंमसूई अंगुलपदमवग्गमूलस्म संखेजतिभागो, तस्स गं अंगुलविक्खंभखेतवत्तिणो सेलिरासिस्स जैसे पदम वमामूल तत्व जामो सेवीओ तासिपि संखेजतिभागो, एवं नेरहपहितो संखेज्जगुणहीणा विक्वंमसूड़े भवति, जम्हा महादवि असंखाजगुणहीणा सम्वे चेष भुवणवासी रवणष्पमापुढपिनेरहमदिलोवि, किमु न सध्याहतो १. एवं जाच थणियकुमाराणंति, पुढविआउतेजस उपडाज कंटा भाणियब्वा । 'बाउकाइयाणं भंते !' इत्यादि, वाउकाइयाण बेडब्बिया बदेल्लया। असंखज्जा, समए समए अवहीरमाणा पलिओवमस्त असंखेजविभागमेणं कालेणं अवहींमंति, जो चेवणं अवाहिता सिया, सूर्य, कई पुण पलिओवमरस असंखेज्जतिभागसम यमेत्ता भति', आयरिय आह-वासकाइया पब्विहा- मुहुमा पजत्ताऽपरजचा, पादरावि व पजत्ता | अपउजत्ता, तत्थ सिण्णि रासी पत्तेय असंखज लोगप्पमाणपदेसरातिप्पमाणमेना, जे पुण बाग पञ्जत्ता पनरासंखेजतिभागमेता, ४ा तत्थ ताव दिई रासीणं वेउब्वियलबी व णरिथ, पायरपाजताणपि अखजतिभागंभतार्ण बद्धी अस्थि, जेलिपि सही अस्थि तओवि || |पटिओषमाऽससेग्नभागसमयमेचा संपर्य पुषहासमा अधिवकनिगो, केई भनि-सम्बे घेषिया बायंति, अवेरब्बियाणे वाणं चेवर। Mण पवत्तहान, ण जुजति, किं कारण ?, जेण सम्बेसु चेच लोगादिसु चळा पायो विति, सम्हा अवेडग्वियावि बार्ततीति घेच, TM॥९२ ।। ४ सभावो ते से बाईबब्ब, 'वणफडकाइयाण' मित्यादि कैसा ।। दीप अनुक्रम [२७९२९२] । ~229
SR No.035067
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 2 07 Nandi Vrutti Aagam 44 evam Anuyogdwar Vrutti Aagam 45
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages270
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size20 MB
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