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________________ आगम (४४) [भाग-7] "नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ........... मूलं ५७] / गाथा ||८२-८४|| प्रत सूत्रांक 84545 गडिकानुनन्दी "योगे हारिभद्रीया दुगाइएगुत्तरा दोवि गच्छति | आवलिया दूरगमणओ पंचासीइमे ठाणे चिट्ठति तश्या मैडिया,21 चित्रान्तर वृत्ती गडिकाः ॥११२॥ अतः परं चतस्रो गण्डिका एकोत्तरिकादिकाः प्रदश्यन्ते-शिवगतौ सर्वार्थे च एवं असंखेज्जा चित्ततरगंडिया, एगाइ एगुत्तरिया पढमा णेया, सिद्धा एत्तिया सध्यढे एत्तिया चेव, एवं जाव असंखेज्जा, एगादिविउत्तरा श चितिया | | चितवर गण्डिया, सिद्धा एतिया सबहे एतिया चव, एवं जाव असंखेज्जा चित्रंतरगंडिया, एगादितिउत्तरा | [५७]] गाथा ||८२८४|| ___ तइया तवश्चतुर्थी व्यादिका द्वयादिविषमोत्तरप्रक्षेपा एकोनविंशत्रिदंकान् संस्थाप्य निदर्श्यते, दीप एचिया सवढे | ३ ८ | १६ | २५ ११ | १७ | २९ १४ ५० ८० | ५ | ७४ ७२/४९/२९] शिवगतौ सिद्धा | ५ | १२ २०१५/३१ २८.२६/७३ | ४/९०६५ २८१०३ . ११२॥ अनुक्रम [१५०१५४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४४] चूलिकासूत्र [९] नन्दीसूत्र मूलं एवं हरिभद्रसूरिजीरचिता वृत्तिः ~1254
SR No.035067
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 2 07 Nandi Vrutti Aagam 44 evam Anuyogdwar Vrutti Aagam 45
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages270
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size20 MB
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