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[भाग-४०] कल्प/बारसा-सूत्र, चतुःशरण, तंदुलवैचारिक, गच्छाचार
नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य श्रीआनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नम:
["दशाश्रुतस्कंध" छेदसूत्र अन्तर्गत् एक अध्ययन] "कल्प(बारसा)सूत्रं" मूलं
+ सवृत्तिक प्रकीर्णक आगम सूत्राणि (त्रयम्) २४.चतुःशरण, २८.तंदुलवैचारिक, ३०.गच्छाचार मूलं एवं वृत्ति:
[आद्य संपादकश्री] पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह) पुन: संकलनकर्ता- मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D., श्रुतमहर्षि) 28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५ 'सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि' श्रेणि भाग-40
श्री आगमोद्धारक-वाचना-शताब्दी-वर्ष-निमित्त 'आगम-वृत्ति-मुद्रण-प्रोजेक्ट'
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