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भाग
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सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि भाग १ से ४० में कहां क्या मिलेगा?
इस भागमे समाविष्ट आगम के नाम और आगम-क्रम
आगम १७ चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं वृत्ति.
आगम १८ जंबूद्विपप्रज्ञप्ति भाग-१ मूलं एवं वृत्ति वक्षस्कार- १ एवं २.
आगम१८ जंबूद्विपप्रज्ञप्ति भाग - २ मूलं एवं वृत्ति वक्षस्कार- ३ एवं ४. आगम१८ जंबूद्विपप्रज्ञप्ति भाग- ३ मूलं एवं वृत्ति वक्षस्कार- ५ से ७.
आगम १९-३२ निरयावलिका, कल्पवतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशा, चतुःशरण, आतुरपरत्याख्यान, महाप्रत्याख्यान, भक्तपरिज्ञा, तंद्लवैचारिक, संस्तारक, गच्छाचार, गणिविदया, देवेन्द्रस्तव मूलं एवं छाया
आगम ३३ थी ३९ मरणसमाधि मूलं एवं छाया, निशीथ, ब्रुहत्कल्प, व्यवहार, दशाश्रुतस्कंध, जीतकल्प/पंचकल्प, महानिशीथ मूलं एव आगम ४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग-१, निर्युक्ति- १ से ५२१
निर्युक्ति- ५२२ से९५१
निर्युक्ति - ९५२ से १२७३ अपूर्ण, [अध्ययन- १ से ४ अपूर्ण ]
आगम ४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग-२, आगम ४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग - ३ आगम ४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग-४ आगम ४१/१ ओघनिर्युक्ति मूलं एवं वृत्ति.
निर्युक्ति- १२७३ अपूर्ण से १६२३ [ अध्ययन- ४ अपूर्ण से ६ संपूर्ण
आगम ४१/२ पिंडनिर्युक्ति मूलं एवं वृत्ति.
आगम ४२ दशवैकालिक मूलं एवं वृत्ति.
आगम ४३ उत्तराध्यन मूलं एवं वृत्ति, भाग -१, अध्ययन- १ से ५
आगम ४३ उत्तराध्यन मूलं एवं वृत्ति, भाग-२, अध्ययन- ६ से २१
आगम ४३ उत्तराध्यन मूलं एवं वृत्ति, भाग-३, अध्ययन- २२ से ३६
आगम ४४ नन्दिसूत्र मूलं एवं वृत्ति.
आगम ४५ अनुयोगद्वार् मूलं एवं वृत्ति.
कल्प[बारसा]सूत्र... चतुःशरण, तन्दुलवैचारिक, गच्छाचार मूलं एवं वृत्ति.
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कुलपृष्ठ
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३१२
३३०
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४८२
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५२८
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