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मूलाङ्का: ३४९ + २३१
विषय:
पद १८- कायस्थिति:
--द्वार् ०१- जीव:
--द्वार् ०२- गति: --द्वार् ०३ - इन्द्रियं
--द्वार् ०४- काय:
मूलांक:
४७१
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---
---
---
--द्वार ०५- योग:
--द्वार ०६- वेदं
--दवार ०७- कषायः
--द्वार ०८- लेश्या
--द्वार् ०९- सम्यकत्वं
--द्वार १०- ज्ञानं
--दद्वार ११ दर्शनं
--द्वार १२- संयत:
--दवार १३ उपयोग:
--द्वार १४- आहार:
--दवार १५- भाषक:
--द्वार् १६- परितः
पृष्ठांक:
प्रज्ञापना ( उपांग) सूत्रस्य विषयानुक्रम २
मूलांक:
विषय:
पृष्ठांक:
पद १८- बहुवक्तव्यता ( वर्तते ) --द्वार् २१- अस्तिकाय: --द्वार् २२- चरिम:
४९५
४९६
५०९
५२५
५३४
५४६
५४७
५४८
५४९
५७०
पद १९- सम्यकत्वं
पद २०- अंतक्रिया
पद २१- अवगाहनासंस्थान / शरीर
पद २२- क्रिया
---
पद २३- कर्मप्रकृत्तिः
-- उद्देशक: ०१- अष्टविधा
-- उद्देशक: ०२- भेद-प्रभेदाः
पद २४- कर्मबन्धं
पद २५- कर्मवेदनं
पद २६- कर्मवेदबन्धं
पद २७- कर्मवेदवेदनं
०१२
०१२
०३७
~10~
०८९
०९४
०९६
१०१
मूलांक:
---
५७२
५७३
दीप- अनुक्रमाः ६२२
विषय:
पद २८ - आहार / उद्देशक : २ वर्तते
--द्वार् ०२- भवसिद्धिकत्वं
--द्वार ०३- संजी
--द्वार ०४- लेश्या
-द्वार ०५- द्रष्टि:
-द्वार ०६- संयत:
--दवार ०७- कषाय:
-द्वार ०८- ज्ञानं
- दुवार ०९- योग:
--द्वार १० उपयोग:
--द्वार ११- वेद:
--द्वार १२- शरीरं --दवार १३ पर्याप्तिः
५७५
५७७
पद २८- आहार:
१०३
५७९
--दद्वार १७- पर्याप्तः --द्वार १८- सूक्ष्मं
१०३
५८४
-- उद्देशक: ०१- सचित्तादि -- उद्देशक: ०२--द्वार् ०१ आहारकत्वं
१२९
--द्वार १९- संज्ञी --द्वार् २०- भवसिद्धिक:
पद ३५- वेदना
५९५ ५९९-६२२
१४०
पद ३६- समुद्घातः पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधितः मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित.. आगमसूत्र [१५],उपांगसूत्र [४] “प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्तिः
पद २९- उपयोग:
पद ३०- पश्यता
पद ३१- संजी
पद ३२- संयतः
पद ३३- अवधि:
पद ३४- प्रविचारणा
पृष्ठांक
830
830
१३८
१३८
१३८
१३८
१४६
१४६
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१४६
१४६
१५६
१६३
१७२
१७५
१७९
१९२
२१३
२२४