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मूलाका : ३४९ + २३१ ।
प्रज्ञापना (उपांग) सूत्रस्य विषयानुक्रम - १
दीप-अनुक्रमा: ६२२
३५३
०४१
०६०
१७१
मूलाक: विषय: | पृष्ठांक: । । मूलांक: । विषय: | पृष्ठांक: मूलांक:
विषय: | पृष्ठांक: ००१ | पद ०१- प्रज्ञापना
| पद ०३- बहवक्तव्यता (वर्तते)
| पद ०७-उच्छवास: १९२ | पद ०२- स्थानं
--दवार २०- संजी
३५४ | पद ०८- संज्ञा
०४६ २५७ | पद ०३- बहुवक्तव्यता
--द्वार २१- भवसिद्धिक:
३५६ | पद ०९- योनि:
०५२ --द्वार ०१- दिशा
-द्वार २२- अस्तिकाय:
३६१ पद १०- चरिम: |--द्वार ०२- गतिः
-वार २३- चरम: --द्वार ०३- इन्द्रियं
--दवार २४- जीव:
३७५ पद ११- भाषा
०९५ --- --द्वार ०४- काय:
|--द्वार २५-क्षेत्रं
४०० पद १२- शरीरं
१४० --द्वार ०५- योग:
-द्वार २६- बन्धं
४०५
| पद १३. परिणाम: | --द्वार ०६- वेदः
|--द्वार २७- पद्गल, दिशा
४१३ पद १४- कषाय:
१८२ | --द्वार ०७- कषाय:
आदि अल्पबहत्त्वं |--द्वार ०८- लेश्या
४१९ पद १५- इन्द्रियं
१८८ |--द्वार ०९- द्रष्टि : २९८ पद ०४- स्थितिः
--उद्देशक: ०१- नामादि १८९ --दवार १०- ज्ञानं ३०७ | पद ०५- विशेष
--उद्देशक: ०२- उपचयादि २२० |--द्वार ११- अज्ञानं ३२६ पद ०६- व्युत्क्रान्ति:
पद १६- प्रयोग:
२३८ --दवार १२- दर्शनं
|--द्वार ०१- द्वादश: --द्वार १३- संयत: --द्वार ०२- चतुर्विंशति:
| पद १७- लेश्या
२६३ --दवार १४- उपयोग: --दवार ०३- सांतरं
--उद्देशक: ०१- समाहारादि। २६४ --दवार १५- आहारक: --द्वार ०४- एकसमयं
|--उद्देशक: ०२- षडभेदाः
२९० --दवार १६- भाषक: --दवार ०५- आगति:
--उद्देशक: ०३- उपपातादि । ३०७ --द्वार १७- परित्त: --द्वार ०६- उद्वर्तना/गति:
--उद्देशक: ०४- परिणामादि ३१९ | --दवार १८- पर्याप्त:
| --दवार ०७- परभवाय:
०३६
--उद्देशक: ०५- वर्णादि | ३४४ --द्वार १९- सूक्ष्म -द्वार ०८- आकर्ष:/आयुबंध: । ०३७
--उद्देशक: ०६- मनुष्यापेक्षया | ३४८ पूज्य आगमोद्धारकश्री संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
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