________________
आगम
(१५)
[भाग-१८] “प्रज्ञापना".
पदं [१], ----------------उद्देशक: -,---------------- दारं -1,---------------- मूलं [...४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[१५]उपांगसूत्र-[४] "प्रज्ञापना" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
प्रत
सूत्रांक
प्रज्ञापना- परिणयावि २०, जे सण्ठाणओ बहसण्ठाणपरिणता ते वण्णाओ कालवणपरिणयावि नीलवणपरिणयाचि लोहियवण्णपरिणयावि।।
१प्रज्ञापयाः मल- हालिवण्णपरिणयावि मुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धओ सुन्भिगन्धपरिणयावि दुब्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणतावि नापदे रूय० वृत्ती. कद्वयरसपरिणतावि कसायरसपरिणतावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररसपरिणतावि फासओ कक्खडफासपरिणतावि मउपफास-| प्यजीवप्र.
परिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे सण्ठाणओ ससण्ठाणपरिणता ते वष्णओ कालवण्णपरिणयावि नीलवणपरिणयावि लोहियवण्णपरिण-1 यावि हालिद्दवण्णपरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धो सुब्भिगन्धपरिणयावि दुन्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरेसपरिणयावि कडुयरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररसपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिणयावि मउयफासपरिणयावि गुरुयफासपरिणयावि लहुयफासपरिणयावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि गिद्धफासपरिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे सण्ठाणओ चउरंससग्ठाणपरिणता ते वणो कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणतापि लोहिय-1 वण्णपरिणतावि हालिवष्णपरिणवावि सुकिल्लवणपरिणयात्रि गन्धो सुबिभगन्धपरिणयावि दुम्भिगन्धपरिणयावि रसओ तित्तरसपरिणयापि कडुपरसपरिणयावि कसायरसपरिणयावि अम्बिलरसपरिणयावि महुररस्त्रपरिणयावि फासओ कक्खडफासपरिण-INI
तावि मउयफासपरिणताबि गुरुवफासपरिणतावि लहुयफासपरिणतावि सीयफासपरिणयावि उसिणफासपरिणयावि निद्धफासप-II IS रिणयावि लुक्खफासपरिणयावि २०, जे सण्ठाणओ आयतसण्ठाणपरिणता ते वण्णओ कालवण्णपरिणतावि नीलवण्णपरिणयावि
लोहियवण्णपरिणयावि हालिदवण्णापरिणयावि सुकिल्लवण्णपरिणयावि गन्धओ सुभिगन्धपरिणयावि दुम्भिगन्धपरिणयापि रसओ
अनुक्रम
[१३]
see
~44~