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आगम
(१४)
[भाग-१७] “जीवाजीवाभिगम" -
प्रतिपत्ति : [५], --------------------- उद्देशक: -,--------------------- मूलं [२३७] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...आगमसूत्र-[१४], उपांगसूत्र-३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति:
श्रीजीवाजीवाभि मलयगिरीयावृत्तिः ॥४१९॥
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प्रत सूत्रांक [२३७]
प्रतिपत्ती सूक्ष्मबादरयोरः ल्पबहुत्वं उद्देशः२ सू० २३७
दीप अनुक्रम [३६२]
सेसाहिया। एएसिणं भंते ! सुहमाणं बादराण य पजत्ताणं अपजत्ताण य कयरे २१०, सव्यस्थोवा बायरा पजत्ता घायरा अपज्जत्ता असंखेनगुणा सव्वथोवा सुहुमा अपजत्ता सुहमपज्जत्ता संखेलगुणा, एवं सुहुमपुढविवायरपुढवि जाव सुहुमनिओया वायरनिओया नवरं पत्तेयसरीरबायरवण सब्वत्थोवा पजत्ता अपजत्ता असंखेजगुणा, एवं यादरतसकाइयावि ॥ सव्वेसिं पजत्तअपजत्तगाणं कयरेशहितो अप्पा वा बहुया वा?, सब्यस्थोवा वायरलेउकाइया पजत्ता वायरतसकाइया पजसगा असंखेजगुणा ते चेव अपजत्तगा असंखेजगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सइअपजतगा असंखे० बायरणिओया पजत्ता असंखेज वायरपुढवि० असं० आउवाउपलत्ता असंखे० बायरतेउकाइयअपजत्ता असंखे० पत्तेय असंखे० बायरनिओयपजत्ता असं० बायरपुढवि० आउवाउकाइ अपजत्तगा असंखेजगुणा सुहुमतेउकाइया अपजत्रागा असं० सुहमपुढविआउवाउअपजत्ता विसेसा. सुहुमतेउकाइयपजसगा संखेजगुणा सुहमपुढविआउवाउपजत्तगा विसेसाहिया सुहमणिगोया अपजत्तगा असंखेजगुणा सुहुमणिगोया पजत्तगा असंखेजगुणा बायरवणस्सतिकाइया पजत्तगा अर्णतगुणा बायरा पजत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सइ अपजत्ता असंखेजगुणा बायरा अपज्जत्ता विसे वायरा विसेसाहिया सुहमवणस्स
॥४१२
अत्र मूल-संपादने शिर्षक-स्थाने एका स्खलना वर्तते- एता प्रतिपतौ न कोऽपि उद्देशक: वर्तते, तत् कारणात् अत्र “उद्देश: २" इति निरर्थकम् मुद्रितं
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