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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [३], -----------------------उद्देशक: [(द्वीप-समुद्र)], -------------------- मूलं [१२८-१२९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४], उपांगसूत्र- [३] “जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: -- प्रत सूत्रांक [१२८-१२९] -4-06 सुवण्णपतरगमंडिता णाणामणिरयणविविधहारद्धहार (उचसोभितसमुदया) जाव सिरीए अतीव अतीव उबसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिटुंति ॥ तेसि णं णागदंतकाणं उवरिं अपणाओ दो दो णागदंतपरिवाडीओ पण्णत्ताओ, तेसि णं णागर्दतगाणं मुत्ताजालंतरूसिया तहेव जाव समणाउसो! । तेसु णं णागदंतएम बहवे रयतामया सिकया पण्णत्ता, तेसु णं रयणामएम सिफएसु बहवे वेरुलियामतीओ धूवघडीओ पण्णत्ताओ, तंजहा-साओ णं धूवघडीओ कालागुरुपवरकुंदरुकतुरुकधूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामाओ सुगंधवरगंधगंधियाओ गंधवहिभूयाओ ओरालणं मणुण्णणं घाणमणणिब्बुइकरणं गंधणं तप्पएसे सय्यतो समंता आपूरेमाणीओ आपूरेमाणीओ अतीव अतीव सिरीए जाव चिट्ठति ॥ विजयस्स णं दारस्स उभयतो पासिं दुहतो णिसीधियाए दो दो सालिभंजियापरिवाडीओ पण्णत्ताओ, ताओ णं सालभंजियाओ लीलहिताओ सुपयट्ठियाओ सुअलंकिताओ णाणागारयसणाओ णाणामल्लपिणद्वि(द्वि)ओ मुट्ठीगेझमज्झाओ आमेलगजमलजुयलवहिअन्भुण्णयपीणरचियसंठियपओहराओ रत्सावंगाओ असियकेसीओ मिदुविसयपसत्थलक्षणसंवेल्लितग्गसिरयाओ ईसिं असोगवरपादवसमुट्टिताओ वामहत्वगहितग्गसालाओ ईसिं अडच्छिकडक्वविद्विएहिं लूसेमाणीतो इव चक्खुल्लोयणलेसाहिं अण्णमण्णं खिजमाणीओ इव पुढविपरिणाभाओ सासयभावमुष ACCRAX 7 दीप अनुक्रम [१६६-१६७]] 4 Aks ~415~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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