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________________ आगम (१४) [भाग-१६] “जीवाजीवाभिगम" - प्रतिपत्ति : [१], ------------------------- उद्देशक: [-1, ---------------------- मूलं [१३] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [१४] उपांगसूत्र- [३] "जीवाजीवाभिगम" मूलं एवं मलयगिरि-प्रणीता वृत्ति: -44-%--" प्रत सूत्रांक 1 +9 [१३]] दीप समयद्वितीयाई भावतो वण्णवं(म)ताई गंधर्व (म)ताई रसव (म)ताई फासव(म)बाई ॥ जाई भावओ वण्णमंताई आग, ताई कि एगवपणाई आ० दुवपणाई आकतिवण्णाई आ० चउवपणाई आ० पंचवण्णाई आ०१, गोयमा! ठाणमग्गणं पडच एगवण्णाइंपि दुवपणाईपि तिवण्णाईपिचउवण्णाइंपि पंचवण्णाईपि आ०, विहाणमग्गणं पडुश्च कालाईपि आ० जाव सुकिलाईपि आ०, जाई वपणओ कालाई आ० ताई किं एगगुणकालाई आ० जाव अणंतगुणकालाई आ०१, गोयमा! एगगुणकालाईपि आ० जाव अणंतगुणकालाइंपि आ० एवं जाव सुकिलाई ॥ जाई भावतो गंधमंताई आताई किं एगगंधाई दुगंधाई आ०?, गोयमा! ठाणमग्गणं पउस एगगंधाइंपि आ. दुगंधाइंपि आ०, विहाणमग्गणं पहुंच सुम्मिगंधाइंपि आ० मुग्भिगंधाइंपि आ०, जाई गंधतो सुन्भिगंधाई आ० ताई कि एगगुणसुम्भिगंधाई आ० जाय अर्णतगुणसुरभिगंधाई आ०?, गोयमा! एगगुणसुन्भिगंधाइंपि आ० जाव अणंतगुणसुदिभगंधाइंपि, आ० एवं दुन्भिगंधाईपि ॥ रसा जहा वण्णा || जाई भावतो कासवं(म)ताई आ० ताई किं एगफासाई आ० जाव अट्ठफासाई आ०?, गोयमा ! ठाणभग्गणं पडु नो एगफासाई आ० नो दुफासाई आoनो तिफासाई आ० चउफासाई आ० पंचफासाइपि जाय अट्ठफासाइंपि आ०, विहाणमग्गणं पडुच कक्खडाइपि आ० जाच लुक्खाइपि आ०, जाई फासतो कक्खडाई आ० अनुक्रम [१४] ~33~
SR No.035016
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 16 Jivajivabhigam Mool evam Vrutti Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages480
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jivajivabhigam
File Size116 MB
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