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[भाग-१४] “विपाक” एवं “ औपपातिक" सूत्रम्
नमो नमो निम्मलदंसणस्स
पूज्य श्रीआनंद-क्षमा- ललित- सुशील-सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः
“विपाकश्रुत तथा औपपातिक" मूलं एवं वृत्तिः [आगमसूत्र ११,१२] मूलं एवं वृत्तिः
[आद्य संपादकश्री]
पूज्य आगमोद्धारक आचार्यदेव श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी म. सा.
(किञ्चित् वैशिष्ठ्यं समर्पितेन सह )
पुन: संकलनकर्ता मुनि दीपरत्नसागर (M.Com., M.Ed., Ph.D.श्रुतमहर्षि)
28/07/2017, शुक्रवार, २०७३ श्रावण शुक्ल ५
'सवृत्तिक-आगम-सुत्ताणि' श्रेणि भाग-१४
श्री आगमोद्धारक-वाचना- शताब्दी वर्ष - निमित्त 'आगम-वृत्ति - मुद्रण- प्रोजेक्ट'
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