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________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [१२], वर्ग [-], अंतर्-शतक [-], उद्देशक [१०], मूलं [४६९] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: -- प्रत सूत्रांक [४६९] 0 -0 *नो आया तदुभयस्स आइडे अवत्त आताति य नो आताति य, से तेणढणं तं चेव जाब नो आयाति याला एवं जाच अशुए कप्पे । आया भंते । गेविजविमाणे अने गेविजविमाणे एवं जहा रयणप्पभा तहेच, एवं अणुत्तरविमाणावि, एवं इसिपम्भारावि । आया भंते ! परमाणुपोग्गले अन्ने परमाणुपोग्गले ? एवं जहा 8 सोहम्मे कप्पे तहा परमाणुपोग्गलेवि भाणियचे॥ आया भंते ! दुपएसिए खंधे अन्ने दुपएसिए खंधे ?, गोयमा दुपएसिए खंधे सिय आया१सिय नोआया रसिय अवत्त आयाइ यनो आयातिय ३ सिय आया य नो आया य ४ सिय आया य अवत्त आयाति य नो आयाति य ५ सिय नो आया य अवत्त आयाति य नो आयाति य ६, से केणद्वेणं भंते । एवं तं चेव जाव नो आयाति य अवसघं आयाति य नो आयाति य | | गोयमा ! अप्पणो आदिहे आया परस्स आदिहे नो आया २ तदुभयस्स आदिहे अवत्त दुपएसिए खंधे ॥ आयाति य नो आयाति य ३ देसे आदि सम्भावपजवे देसे आदिढे असम्भावपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया [य नो आया य४ देसे आदितु सम्भावपजवे देसे आदितु तदुभयपजवे दुपएसिए खंधे आया य अवत्तवं आयाइ य नो आयाइ य ५ देसे आदिढे असम्भावपजवे देसे आदिहे तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंध ना| आया य अवत्त आयाति य नो आयाति य ६से तेणतुणं तं चेव जाव नो आयाति य ॥ आया भंते ।। |तिपएसिए खंधे अन्ने तिपएसिए खंधे, गोयमा ! तिपएसिए खंधे सिय आया १ सिय नो आया २ सियर अवत्त आयाति य नो आयाति यसिय आया यनो आया यसिय आया य नो आयाओ य ५ सिय दीप अनुक्रम [५६२] SEKASGANA ~95
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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