SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 486
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२०], वर्ग [-], अंतर-शतक [-], उद्देशक [६], मूलं [६७१-६७३] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५, अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: 8. प्रत सूत्रांक [६७१६७३] -2- 9 - 5 4-58- 40 दीप अनुक्रम [७८९-७९१] पश्चमे पुद्गलपरिणाम उक्तः, षष्ठे तु पृथिव्यादिजीवपरिणामोऽभिधीयत इत्येवंसम्बद्धस्यास्येदमादिसूत्रम्पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उबबज्जित्तए से णं भंते ! किं पुछि उयवजित्ता पच्छा आहारेजा पुyि | आहारित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ?, गोयमा ! पुर्वि वा उववजित्ता एवं जहा ससरसमसए छमुद्देसे जाव से तेण्डेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ पुचिं वा जाव उववजेजा नवरं तहिं संपाउणेजा इमेहिं आहारो भन्नति सेसं तं चेव । पुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सकरप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहए जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए एवं चेव एवं जाव ईसीपभाराए उववाएयत्रो। पुढबिकाइए णंभंते! सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पुढवीए अंतरा समोहते स०२ जे भविए सोहम्मे जाव ईसिपम्भाराए एवं एतेण कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए उववाएयचो । पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणसणंकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए स०२ जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते ! पुधिं उववजित्ता पच्छा आहारेजा सेसं तं चेव जाव से तेणट्टेणं जाव णिक्वेवओ। पुढविकाइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सर्णकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए २ जे भविए सकरप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववजित्तए एवं चेव एवं जाब अहेसत्समाए उववाएयबो, एवं सणंकुमारमाहिंदाणं बंभलोगस्स कप्पस्स अंतरा समोहए समोह० २ पुणरवि जाव अहे. GARCASSES अथ विंशतितमे शतके षष्ठं-उद्देशक: आरभ्यते ~486
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy