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________________ आगम (०५) [भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:) शतक [२०], वर्ग [-], अंतर-शतक [-], उद्देशक [५], मूलं [६६९-६७०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक [६६९६७०] ४ एए चत्तारि चउका सोलस भंगा, देसे कक्खडे देसे मजए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे एवं एते गरुएणं एगत्तएणं लहुएणं पोहत्तएणं सोलस भंगा कायद्या, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्वे देसे लुक्खे ४ एएवि सोलस भंगा कायथा, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्ने एतेवि सोलस भंगा कायबा, सोऽपि ते चउसद्धि भंगा कक्खडमउएहिं एगत्तएहि, ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं मउएणं पुहत्तेणं एते चउसहि । भंगा कायद्या, ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं मउएणं एगत्तएणं चउसहि भंगा कायबा, ताहे एतेहिं बेच दोहिवि । पुहत्तेहिं चउसहि भंगा कायदा जाव देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया | देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो, सबेते अहफासे दो छप्पसा भंगसया भवंति। एवं एते चादरपरिणए अणंतपएसिए खंधे सधेमु संजोएसु बारस छन्नजया भंगसया भवति ॥ (सू.६६९) कइ| विहे भंते ! परमाणु पं०१, गोयमा ! चउबिहे परमाणु प०२०-दवपरमाणू खेसपरमाणू कालपरमाणू भावपरमाणू, दवपरमाणु णं भंते ! कइविहे प०१, गोयमा ! चउबिहे प०२०-अच्छेजे अभेजे अडजसे अगेज्झे, खेत्तपरमाणू णं भंते ! कइविहे प०१, गोयमा ! चउबिहे प०२०- अणद्धे अमज्झे अपदेसे अविभाइमे, कालपरमाणू पुच्छा, गोयमा! चउबिहे प०२०-अवन्ने अगंधे अरसे अफासे, भावपरमाणू णं भंते! कइविहे प०१,5 गोयमा! चउबिहे प०२०-वन्नमंते गंधमंतेरसमंते फासमंते । सेवं भंते २त्ति जाव विहरति (सून ६७०)।२०-५॥ ॐARAN दीप अनुक्रम [७८७ -७८८] ~482
SR No.035010
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 1 Part 10 Bhagavati Mool evam Vrutti Part 3
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherVardhaman Jain Agam Mandir Samstha Palitana
Publication Year2017
Total Pages514
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_bhagwati
File Size111 MB
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