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आगम (०५)
[भाग-१०] "भगवती"-अंगसूत्र-५ (मूलं+वृत्ति:)
शतक [१३], वर्ग -1, अंतर्-शतक [-], उद्देशक [४], मूलं [४८३-४८४] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधित: मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र- [०५] अंगसूत्र- [०५] "भगवती" मूलं एवं अभयदेवसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रज्ञप्तिः
प्रत सूत्रांक
[४८३
-४८४]
व्याख्या- िजत्थ णं भंते ! एगे धम्मस्थिकायपएसे ओगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्यिकायप्पएसा ओगाढा?, नथि १३ शतके एकोवि, केवतिया अहम्मत्थिकायप्पएसा ओगाढा ?, एको, केवतिया आगासस्थिकाय?, एको, केवतिया,
४ उद्देशः
सअस्तिकायजीवत्थिल, अणता, केवतिया पोग्गलस्थि०१, अणता, केवतिया अद्धासमया ?, सिय ओगाढा सिय नो या वृत्तिः२
तत्प्रदेशावओगाढा जइ ओगाढा अणंता । जत्थ णं भंते ! एगे अहम्मत्थिकायपएसे ओगाढे तत्व केवतिया धम्म-द ॥३१॥ थि०१, एको, केवतिया अहम्मत्थि०१, नथि एकोवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । जस्थ णं भंते ! एगे आ- ४८३
गासत्थिकायपएसे ओगाढे तस्थ केवतिया धम्मस्थिकाय?, सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा, जइ ओगाढा कायानां पर एको, एवं अहम्मस्टिकायपएसावि, केवड्या आगासस्थिकाय, नस्थि एकोचि, केवतिया जीवस्थि रस्परावगा| सिय ओगाढा सिय नो ओगाढा, जइ ओगाढा अणंता, एवं जाव अजासमया । जत्थ णं भंते ! एगे जीव- हासू ४ स्थिकायपएसे ओगादे तत्थ केवतिया धम्मस्थि०१, एक्को, एवं अहम्मस्थिकाय, एवं आगासस्थिकायपए-3
सावि, केवतिया जीवस्थि०१, अणंता, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । जत्थ णं भंते।एगे पोग्गलत्धिकायपएसे द ओगाहे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय?, एवं जहा जीवस्थिकायपएसे तहेव निरवसेसं । जत्थ णं भंते ! दो पोग्गलस्थिकायपदेसा ओगाढा तत्थ केवतिया धम्मस्थिकाय?, सिय एको सिय दोन्नि, एवं अहम्मत्थि
॥६१३॥ कायस्सवि, एवं आगासस्थिकायस्सवि, सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । जत्थ णं भंते ! तिन्नि पोग्गलस्थितत्थ *केवड्या धम्मस्थिकाय?. सिय एको सिय दोन्नि सिय तिन्नि, एवं अहम्मस्थिकायस्सवि, एवं आगा
दीप अनुक्रम [५८०]
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