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कुलपृष्ठ ६१४
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सवत्तिक-आगम-सत्ताणि भाग १ से ४० में कहां क्या मिलेगा? इस भागमे समाविष्ट आगम के नामऔर आगम-क्रम आगम १७ चन्द्रप्रज्ञप्ति मूलं एवं वृत्ति. आगम१८ जंबूद्विपप्रज्ञप्ति माग-१ मूलं एवं वृत्ति. वक्षस्कार-१ एवं २. आगम१८ जंबूद्विपप्रशप्ति भाग-२ मूलं एवं वृत्ति. वक्षस्कार-३ एवं ४. आगम१८ जंबूद्विपप्रज्ञप्ति भाग-३ मूलं एवं वृत्ति. वक्षस्कार-५ से ७. आगम १९ थी ३२ निरयावलिका कल्पवतंसिका, पुष्पिका, पुष्पचूलिका, वृष्णिदशाचतुःशरण, आतुरपरत्याख्यान, महाप्रत्याख्यान, ___ भक्तपरिज्ञा, तंदुलवैचारिक, संस्तारक, गच्छाचार, गणिविद्यादेवेन्द्रस्तव मूल एवं छाया आगम ३३ थी ३९ मरणसमाधिमूलं एवं छाया, निशीथ, हत्कल्प, व्यवहार, दशाश्रुतस्कंध, जीतकल्प/पंचकल्प, महानिशीथ मूलं एव आगम ४० आवश्यक मूल एवं वृत्ति, भाग-१, नियुक्ति- १ से ५२१ आगम४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग-२, नियुक्ति-५२२ से ९५१ आगम ४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग-३ नियुक्ति-९५२ से १२७३ अपूर्ण, अध्ययन-१ से ४ अपूर्ण] आगम ४० आवश्यक मूलं एवं वृत्ति, भाग-४ नियुक्ति- १२७३ अपूर्ण से १६२३, [अध्ययन-४ अपूर्ण से ६ संपूर्ण बागम ४१/१ बोधनियुक्ति मूलं एवं वृत्ति.. आगम ४१/२ पिंडनियुक्ति मूल एवं वृत्ति. आगम ४२ दशवकालिक मूलं एवं वृत्ति. आगम ४३ उत्तराध्यन मूलं एवं वृत्ति, भाग-१, अध्ययन-१ से ५ आगम ४३ उत्तराध्यन मूलं एवं वृत्ति, भाग-२, अध्ययन-६ से २१ आगम ४३ उत्तराध्यन मूलं एवं वृत्ति, भाग-३, अध्ययन- २२ से ३६ आगम ४४ नन्दिसूत्र मूलं एवं वृत्ति.
आगम ४५ अनुयोगद्वारमूलं एवं वृत्ति. | कल्प(बारसासूत्र... चतुःशरण, तन्दुलवैचारिक, गच्याचारमूलं एवं वृत्ति.
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