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________________ ९० रंगा कोठारी घरि भणउं तु । सोलम जिणेसर स्वामी रे। चौद जिनवर तिहां भावीआ तु । सेठि कुंअरजी घरि पामी रे ॥९३ जिन ॥२॥ विश्वसेन कुल माहइं दिनकरू तु । चौद पडिमा तिहां भावी रे। अनंत गुण छइ जिनजीना तु । वयणे अमृत श्रावी ।९४जिन चाणसमइ ते पूजइ तु । भट्टेवु श्री पास रे। चउत्रीस प्रतिमा निरषतां तु । पूगी मननी आस रे।९५जिन कंबोईइ सिरिपासजी तु । पडिमा पंच विचार रे । भमनीइ सोल बिंब अछइ तु । मुंजपुरि त्रणिजिन सार रे ॥ ॥९६॥ जिन० ॥ ॥ एहवउ रूअडु रे नारिंगपुर ॥ए ढाल ॥ २३ ॥ मई भेटिउ रे संखेसर श्रीपासजी रे । ध्यायउ हईडा मांहि । गुणसागर रे २ भविअण जननई सुखकरु रे । जस नामई रे नवनिधि घरि सवि संपजइ रे । आवइ वरण अढार वंदइ रे २ भावई घराणद पुरंदरूरे॥९७॥ इम स्वामी रे सविजननइ छइ हितकरु रे । जोतां आनंद होइ । मुख साहइ रे २ निरुपम पूनिम चंद नि ॥आंचली ॥ सउरे ॥ इम जस महिमा रै त्रिभुवनमांहई व्यापीउ रे। नमइ अमरनरिंद । पूजइ रे २ व्यंतर ज्योतिष दिवाकरू रे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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