SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 90
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ८१ अचिरानंदन जिहां अछइ । दस जिणंद उदार रे । शांति देहरइ ते जुहारीइ । सात बिंब छइ सार रे ॥ २५ गावु० ॥ विमलसी सेठिनई घरि वली । आठ बिंब मन मोहइ रे । रयणमय जिनवर बिंब तिहां । तेजई अतिघणुं सोहइ रे || २६गा० पारषि पुंआ घरि भणउं । ऋषभजिनंद दयाल रे | रजतमय बिंब ज च्यारि अछइ । इग्यार जिन मयाल रे॥ २७गा० तलवस ही पास जिनू । दीपइ पूनिमचंद रे । बिसय सताली सबिंब नसु | पे खिला परमानंद रे || २८ ॥ गाबु० || पूजा कीजइ भावसिउं । जिनवर अंगि सुचंग रे । सूरी आभइ जिम पूजीआ | सोहमइ मनरंगि रे ॥ २९ ॥ गाबु० ॥ १५ ॥ ॥ धन२ साधु जे बनि रहइ ए ढाल ॥ पाटक लटकण आवीआ । दोसी गपू घरि । अजित इग्यार पडिमा वली । अरचु पूजु सुपरि ॥ ३० ॥ सुणि २ भवियण प्राणीआ । लाघउ जिनधर्म । पूजा भावना भावीइ । ए कहीउ मर्म | आंकणी ॥ सहा वाछा घरि हुं भणुं । चंद्रप्रभ स्वामी । एकावन जिनवर निरषीआ । छ रयणमय पामी ॥ ३१ सु०॥ लालजी घरि सुंदरू | संभवजिन देव | त्राणउं विंव तिहां दीठलां । कीजइ जिनसेव ॥ ३२ सु० ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034999
Book TitlePatan Chaitya Paripati
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay
PublisherHansvijayji Jain Free Library
Publication Year1926
Total Pages134
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy