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________________ (२९) मिला उसमें तो स्पेशीअलके यहाँ पहुँचनेका वक्त आठ बजकर वीस मिनिटका दियाथा. ___ मास्टर०-दर असल आनेका मुकररा वक्ततो यहीथा, परंतु फ्रन्टीअर मेल, लेट होजानेकी वजहमे स्पेशीअलभी लेट है ( इस बीच मनसुखरायजी आजाते है ) . सेठ०-मनसुखरायजी! कहो ! कहो ! क्यों आयेहो ? मन०-स्पेशीअलके आने का ठीक वक्त दर्याफ्त करनेकों आया हूं. सेठ०-स्पेशीअलतो ग्यारा बजहके करीब आवेगी. मन०-वहतो आठ बीसको आनेवाली थी न ? सेठ०-किसी खास वजहसे लेट है. मन-तो बरातियों के भोजनका क्या इन्तजाम किया जा. वेगा? क्योंकि बरातियोंको शहरमें पहुँचते २ एक बज जायगी. सेठ०-मेरा खयालतो यह है कि भोजनकी तमाम सामग्री यहीं स्टेशन पर ही मंगवाली जा, और तमाम बरातियोंकों यहीं भोजन करवा दिया जावे. मन०-कच्ची रसोई यहाँ कैसे मंगवाई जासकेगी? सेठ०-सचमुच यहभी एक कठीन समस्या है! अच्छा, तो ऐसा करो कि शहरकी तमाम मोटरबसों को बुलवाली जावे, और तमाम बरातियोंको उनमें बिठलाकर भोजनगृहपर ले जाया जावे, और भोजन करवाकर शीघ्र ही उन्हें वापिस स्टेशनपर ले आया जावे. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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