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________________ (१२३) ही पीया है ऐसा ही कहेंगे. इससे भी साबित हुआ कि उसरोज चतुर्दशी ही है. अब आपसे प्रश्न है कि-एक व्यक्तिको ऐसा नियम है कि-चतुर्दशी और पूर्णिमा दोनो दिन उपवास (बेला) करके दोनो दिन पौषध करना. अब पूर्णिमाके क्षयमें दोनो दिनके पौषध व दोनो दिनके उपवास आपको तो एकही दिनमें हो जायगा न? इन्द्र०-हां बेशक हो जायगा! वकी०-वैसेही जब दो पूर्णिमा होगी तब तीनदिन तक उपवास (तेला) करके तीन दिनतक पौषध करेगा क्या ? इन्द्र०-नहीं वहांतो नियम है कि-उत्तरतिथिमें ही आराधना करना. की०-आप पहले सच्चे अर्थको समझ चुके है तो भी में में करके सप्तम्यंत अर्थ कहां से ले आते हो ! नियम चतुर्दशी और पूर्णिमाका है नकि-पूर्वका या उत्तरका ? यदि पूर्व में जो पूर्णिमा है तो अवश्य करना ही चाहिये. जैसे पूर्णिमाके क्षयवक्त चतुर्दशीके एक हि दिनसे चला लेते हो वैसे पूर्णिमा कि वृद्धिमें पूर्णिमाकी आराधना दोनो दिन करना ही होगा. अच्छा जाने दीजिये इस बातको जब कभी कार्तिक पूर्णिमाका क्षय होगा तब चतुर्दशी और पूर्णिमाका कार्य एक ही दिन करोंगे न? इन्द्र०-जीहां. वकी-कहिये ! आपके गुरूमाहाराज उसदिन सुबहके Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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