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________________ ते पण तमारे जाणवु जोइये. (पृ. २८) खरेखर चौदश विना चौदशनुं कृत्य पूर्णिमामां तदन,अयुक्तज छे. श्रीपरमानंदे 'रुद्रपल्लीय समाचारी' नामना ग्रन्थमां अने जिनवल्लभमूरिए 'पौषधविधि'मां लख्यु के के-जो ते दिवसे चौदश होय तो पक्खि अथवा चौमासी पडिक्कमवी, जो न होयतो देवसी अथवा संवत्सरी (जे दिवसे जे होय ते प्रमाणे ) पडिकमवु. प्रतिक्रमण करीने साधुनी विश्रामणा करे. भो मित्र! चतुर्दशी अने पूर्णिमा बन्ने आराध्य तरीके तमने सम्मत छे. 'तेथी' जो तमारा मत प्रमाणे चौदशना क्षये पुनम करवामां आवे तो पुनमनीज आराधना थइ, चौदशनी आराधना उपरतो पाणीज मुकाइ जशे! जो तमे एम कहेवा मांगो के चौदशनो क्षय थयेलो होवाथी तेनी आराधना पण नष्ट थइ गएली छे, तो अमे तमने मित्रभावे पुछीये छीये के भाई आठमें तमने शुं खानमीमां कांइ आपेलं , के जेथी नष्ट थइ गयेली आठमने तमे फेरवीने मानो छो ? अने चौदशे तमारो शो अपराध को छे के तेनु नाम पण सहन थतुं नथी? जो तमे अमने एम पुछो के पूर्णिमाना क्षये तमे शु करशो? तो अमे कहिये छीये के-तमारी विचारचतुराइ तो सरस छे ! केमके-तमो जाणो छो के पुनमनो क्षय थयेलो के 'ते वखते' चउदशने दिवसे चौदश अने पूर्णिमा बन्ने तिथि पूरी थाय छे, तेथी चौदश भेगी पुनमनी पण आराधना थई जाय छे. आ जाणवा छतां तमे नाहक पुछो छो? 'चउदशमां पुनमनुं आरोपण करीने तमे आराधो छो' एम पण तमारे अमोने नहिं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034996
Book TitleParvtithi Prakash Timir Bhaskar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTrailokya
PublisherMotichand Dipchand Thania
Publication Year1943
Total Pages248
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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