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इति श्री सर्वज्ञशासन सार्वजनीन-सार्वभौमाचार्यभी सरिसम्राट्-श्रीमद्विजय-नेमिसूरीश्वर-पट्टनमो-नभोॐ मणि-पीयूपपाणि-कविरत्न-शास्त्रविशारदाचार्य श्रीम विजयामृतसूरीश-विनयनिधान-विनेयरत्न मुनिश्री ॐ पुण्यविजयजित्पादपद्यमकरन्दमधुकर-मुनिधुरन्धर
विजय-रचितायां-परमात्मसंगीतरसस्रोतस्विन्यां
देशीयरागनिबद्धो द्वितीयविभागः
समाप्त
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