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iv
(१) जम्बुद्दीवपण्णात्ति (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति); (७) चन्दपण्णत्ती (चन्द्रप्रज्ञप्ति); (८) निरयावलियाओ; (९) कप्पवडंसिया or कप्पवडंसियाओ (कल्पावतंसिका); (१०) पुफियाओ (पुष्पिका); (११) पुप्फचूलियाओ (पूष्पचूलिका); (१२) वहिदसाओ (वृष्णिदशा). N. B.- Upangas 8-12 comprise only one book, under the title 'निरयावलियाओ'. III Ten Prakīrṇas:
(१) चउसरण (चतुःशरण); (२) आउरपच्चक्खाण (आतुरप्रत्याख्यान); (३) मत्तपइण्णा (भक्तपरिज्ञा); (४) संथार (संस्तार); (५) तण्डुलवेयालिय (तन्दुलवैचारिक); (६) चन्दाविज्झय (चन्द्रकवेध्यक); (७) देविन्दत्थव (देवेन्द्रस्तव); (८) गणिविज्जा (गणिविद्या); (९) महापच्चक्खाण (महाप्रत्याख्यान); (१०) वीरत्थव (वीरस्तव). IV Six Cheda Sutras:
(१) निसीह (निशीथ); (२) महानिसीह (महानिशीथ); (३) ववहार (व्यवहार); (४) आयारदसाओ (आचारदशाः); (५) बिहक्कप्प (बृहत्कल्प); (६) पंचकप्प (पञ्चकल्प). v Four Mulasutras:
(१) उत्तरज्झयण (उत्तराध्ययन); (२) आवस्सय (आवश्यक); (३) दसवेयालिय (दशवैकालिक); (४) पिण्डनिज्जात्त (पिण्डनियुक्ति). VI An Unnamed group of two works :
(१) नन्दीसुत्त (नन्दीसूत्र); (२) अणुओगदार (अनुयोगद्वार).
The नन्दीसूत्र, ascribed to देवर्द्धिगणिन् , gives the following seventy-eight works as comprising the Sacred Literature':
श्रुतज्ञान
अङ्गप्रविष्ट (12)
अनङ्गप्रविष्ट (or अङ्गबाह्य)
आवश्यक
आवश्यकव्यतिरिक्त
(6)
कालिक (31)
उत्कालिक (29)
[Cp. Nandi, Sutra 44] Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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