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॥ ॐ अहम् ॥ तारम् ज्ञातारं विश्व वस्तुतः । 'रामीशं तीर्थेशं प्रणमाम्यहम् ॥
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وطلعنفننن ننداران و
जि स प्रय भूमि गा प्रताप पर व दानी
धर्मबीर को त्र भूमि मेवाड 'एक व मृतप्रायः
को पुनः नव गरण के लिये स्थापना कर कार्य किया पस्पति
فنلانسن لن نحاف هجاوبه رو
وده رفح
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