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खर-तरों के हवाइ किल्ला की दीवारों ।
[ आधुनिक कर खरतरोंने अपनी और अपने गच्छ की उन्नति का एक नया मार्ग निकाला हैं जिसका खास उद्देश्य है कि अन्य गच्छीय आचार्य चाहे वे कितने ही उपकारी एवं प्रभाविक क्यों न हो उन की निंदा कर गलत फहमी फैला कर उन के प्रति जनता की अरूची पैदा करना और अपने गच्छ के आचार्यो की झूठो झूठी प्रशंसा कर भद्रिक लोगों को अपनी ओर झुकाना परन्तु उन लोगों को अबी यह मालुम नहीं हैं कि हम लोग इस प्रकार हवाइ किल्ला की दीवारें बना रहे हैं पर इस ऐतिहासिक युग में वे कहांतक खड़ी रह सकेगी। आज में उस हवाई किल्ला की दीवारों का दिग्दर्शन करवाने के लिये हो लेखनो हाथ में लो है ]
दीवार नम्बर १
कई खरतरगच्छवाले कहते या अपनी किताबों में लिखा करते हैं कि- आचार्य उद्योतनसूरिने बड़वृक्ष के नीचे रात्रि में नक्षत्रबल को जान कर अपने वर्धमानादि ८४ शिष्योंपर छांण [ सूखा गोबर ] का चूर्ण डाल उन्हें आचार्य बना दिये । और बाद में उन ८४ आचार्यों के अलग २ ८४ गच्छ हुए । अतः आचार्य उद्योतनसूरि ८४ गच्छों के गुरु हैं । शायद् आप का यह इरादा हो कि उद्योतनसूरि खरतर होने से ८४ गच्छों के गुरु खरतर है ?
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