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________________ कणयामरविरइय उ सा पेक्खिवि मणहर कयमपण विरह ग्गिताव संतत्तएण भगु सहयर एह कसु तणिय बाल णरणाहहो तेण वि कहिय वत्त कोकादेवि मालिउ कुसुमदत्त तुह तणिय बाल किं होद पह विडियर सुणरवर कामएन । को वि पुच्छिउ णरु तें राणएण । णं कामविडविपरिफलियडाल । मालियो धीय ऐह लडहगत्त । संसएण पपुच्छिउ णिविङगतु । किं अण्णहो कासु वि कहि सह । घता -- ते कहिउ णरिंदहो महियलि चंदहो घरिणिएं महो कुसुमत्तई । सुट्टु अगाहे पाविय एह मंजूराई ॥ ६ ॥ गंगा जलवाहे 7 [16. 3 The king discovers that his lady- love was a princess. तक्खणेण मालिएण लेवि पेयाखणेण माहिं की सेव जाणिया ण सामिसाल सा वि जोइया णिवेण धम्मभारु पालिरण । दाविया शिवस्स तेण । छुद्धिया विएत्यु देव | कासु धीय एह बाल । णाणसायरं गएण । अंगुलीउ णामवंतु । वाइयाई अक्खराई । कामगेहु जावि हूव । तमि दिडु हेमकंतु ताव तेण सुंदराई एह बाल रायधूव वत्ता-- कबियेरायहो पसरियछायहो वसुपालही पउमावइ दुहिय | अणुराएं सा खणि परिणिय दुहमहिय ॥ ७ ॥ विराएं 8 He marries her. Her dream foretells the birth of son. ताराएं मालियासु कायकंतिसंगएण मंदिरं सुउच्छवेण देवि दषु भव्वु तासु । तेण तीएं संजुएण । पावियं कयस्थपण । 6.१] ए. २ S कोक्काइउ. ३ SJ कुसुमदत्तए. 7. १J एइया. २ ] कउसंबिए. ३ S मुणेवि . Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 5 10 5 10 www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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