SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 173
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कणयामरविरइयउ [10. 14.3दुक्खाउर पेयवणम्मि पत्त तहिं जायउ तुहं मई कहिय वत्त । सुणि एवहिं मयणावलिहे वत्त जीवाण होइ विसमिय भावेत्ति । पारावयकुले जा लद्धजम्म पाराविय सा हुय जयणरम्म। दहिऊरु कुरु पंजरे चरंति जा रमणई सहुं अच्छइ रमंति । तावायउ विसहरु परिभमंतु भीसाणणु णं पत्तउ कयंतु । ते पाहिं धरियइं बे वि ताई पई करुणई धाविय रक्खियाई । णवयारइं सा उप्पण्ण एह तव उवरि गरेसर वद्धणेह । घत्ता-पारावउ अहि खयर वि हुय णवयारई लद्धई मुणिवरहो। 10 अहिस्खयरई रोसे तुह वहुय णिय हरिवि तुरंतई णियघरहो ॥ १४ ॥ 15 Padmavati comes and requests the sage for religious instruction. जं पुच्छिउ णरवइ कि पि पई तं अक्खिउ णियसत्तीए मई । तं सुणिवि गरेसरु विभियउ तवचरणु मणेण विचिंतियउ । पोमावह एत्तहिं आय तहिं मुणि धम्मु पयासइ ललिउ जहिं । पुणु वंदिवि भत्तिएं णयसिरेण बोल्लाविवि गंदणु कलसरेण ।। ता पुच्छिउ मुणिवरु णाणदेहु थीवेउ णिहम्मइ जेण एहु । को वि अम्हहं सामिय भणु विहाणु दुहणरयणिवासहो गुरुपिहाणु । संसारमहण्णवसंकियाहं उवभोयणिवहसुहछंडियाहं । करुणेण जईसरु दुक्खियाहं सुहसंपइविहि अक्खेइ ताहं । घत्ता-पडिवई आइ करेवि तहिं उववासहं पुत्ति सया करहि । हियइच्छिय सो सुहु अणुहवइ सुरसेजहिं लीलए रइ करइ ॥१५॥ 10 5 16 Efficacy of fasts. पडिवई उववासिएं पढमु सग्गु वीयाई दुइजउ देववग्गु । तइयाई तइजएं सम्गि वासु चउथीएं तुरीयई सुहणिवासु । पंचमि तह पंचमि सुक्खु देइ सग्गम्मि छहि छट्ठीएं णेइ । सत्तमा सग्गु सत्तमिएं जाइ अट्ठमएं सग्गे अट्टमिएं भाइ। पुणु णवमिएं णवमउ देवलोउ परिपावर दहमिए दहमे भोउ। 14. 1 SJ विभत्ति २ J धाइय. 15. . S णिवहु. Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy