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________________ कणयामरविरइयउ वसरुहिरमंसहडाइं जेत्थु जइ भिंतरु बाहिरु विहि करंतु धत्ता - उप्पण्णउ सुक्कई सोणियई असुइसहावर जो जणु झायइ । एह अणुवेक्खाणित्तुलिय तं पुणु सिद्धिहे मग्गएं लायइ ॥ ११ ॥ 12 How Karmas are contracted. रयणायरे जलसंघाउ जेव जह सलु पणउ चुंबएण सद्दंसणेण परिचन्तएण वज्जरइ जिणेसरु गलियछम्म कम्मासउ कोहें माणएण मणमारणु सीलड जइ हवेइ हिंसालउ वयणु वि जो सरेइ जो हिंसई क उ समायरेइ जो समत्तु धीरंचित्तु उद्धरेइ जो खमाएं सुद्धियाएं वावरेइ मद्दवेण जो चरेइ सुंद्धएण अजवम्मि चित्तु देइ जो महंतु कायपिंडे सुंदरे वि जो णिरीहु धम्मे संतु भड देवि जो सरेवि पूययाएं पूयएइ बीयराउ धम्मसव्वु भावसुद्धि झाणजोइं 13 How the inflow of the Karmas is checked. [9. 11. 8 भणु सुद्धिहे कारणु कवणु तेत्यु | भणु जणव को तर्हि रइ सरंतु । - धत्ता- बंधहो कारणु करेवि तणु अणुवेक्खा जो झायइ पुणु हियएं । सो धण्णउ सासयसोक्खरसु अविराम सो रु तर्हि पियर || १२ || 10 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat कम्माण विहु आसवर तेव । आणिइ कम्मु तह जीवएण । संमिलइ कम्मु मिच्छत्तरण । अविरइपरिणामें मिलइ कम्मु । तह डंभई लोहई कोयएण । कम्मासववइरि ण संभवेइ । तो कम्मु मिलंत को धरेइ । सो कम्म सहुंता रद्द करेइ ८६ 10 सो विदुट्ठमिच्छदिट्ठि संवरेइ । कोहवारि दुक्खकारि सो हरेइ । माणखंभु तासु जाइ णिच्छएण । सो हवे वंचणाविसो हिंतु । सो णिरुत्तु पक्खलेइ लोहसीहु । तं मणो वि मक्कडो वि सो धरेवि । तक्खणेण सो हणेइ दुट्ठराउ । जो करे सो धरे कॉउलाई । 5 S हटाई. 13. १ SJ घी. २ S adds भावएण before सुद्धएण. ३ S सोह देव, ४ S भाष. ५ DN केउलोई. 5 www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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