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________________ 7. 12. 2.] करकंडचरिउ घत्ता- हल्लोहलि हूयउ सयलु जलु अपरंपरि जाणई संचलहिं । हा हा रउ उद्विउ करुणसरु तहो सोएं णरवर सलबलहि ॥ १० ॥ 11 Lamentations of Rativega. जा गरपंचाणणु वियसियआणणु जलि पडिउ । ता सयलहिं लोयहिं पसरियसोयहिं अइडरिउ ॥ रइवेय सुभामिणि णं फणिकामिणि विमणभया । सव्वंगे कंपिय चित्ति चमक्किय मुच्छगया ॥ कियचमरसुवाएं सलिलसहाएं गुणभरिया ॥ उहाविय रमणिहिं मुणिमणदमणिहिं मणहरिया ॥ सा करयलकमलहिं सुललियसरलहिं उरु हणइ । उव्वाहुलणयणी गग्गिरवयणी पुणु भणइ ॥ हा वइरिय वइवस पावमलीमस किं कियउ । मइं आसिवरायउ रमणु परायउ किं हियउ हा दइव परम्मुह दुण्णय दुम्मुहु तुहुं हुयउ। हा सामि सलक्खण सुट्ट वियक्खण कहिं गयउ ॥ महो उवरि भडारा णरवरसारा करुण करि । दुहजलहिं पडती पलयहो जंती णाह धरि ॥ हउँ णारि वराइय आवई आइय को सरउं। परिछंडिय तुम्हहिं जीवमि एवहिं किं मर ॥ इय सोयविमुद्धई लवियउ सुद्धई जं हियई । हउँ बोल्लिसु तइयतुं मिलिहइ जइयर्ल्ड मझु पइ ॥ घत्ता-अइसोउ करेविणु मंतिवरु संबोहिवि परियणु दुम्मियउ । गउ जाणइं लेविणु जलहितडे तं परियणु तहिं णिच्चलु कियउ ॥११॥ 20 12 Rativega worships goddess Padmavati, आवासिय सेण्णा तित्थु जाव रहवेयएं उजउ कियउ ताव । पुणु तुरिउ विलक्खीहूइयाई अणुसरिय देवि कोमलगिराई । ५ J जाणहिं. 11. १ D दुष्णइ दुम्मुह. २ J करउं. 15 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034918
Book TitleKarkanda Chariu
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKankamar Muni
PublisherKaranja Jain Publication
Publication Year1934
Total Pages364
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size33 MB
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