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(४२) श्रीपादं जिनचन्द्रशांति शरण सद्भक्तिमानेऽपि ते। . भूयस्तापहरस्यं देव भवतो भूयात्पुनदर्शनम् ।
वृहस्थाचार्य निम्नलिखित श्लोक पढ़कर वर वधू को पुष्पवृष्टि द्वारा आशीर्वाद दे।
अारोग्यमस्तु चिरमायुरथो शचीव ।, शक्रस्य शीतकिरणस्य च रोहणीव ॥ मेघेश्वरस्य च सुलोचनका यथेषा, भूयात्तवेप्सित सुखानुभवधिधात्री ॥१॥
आरती। बर की सास हाथ में दीपक लेकर वर को तिलक करके भारती करे। इसके पहले खंडेलवालों में पगडी भी बधाई जाती है । पश्चात् वर वधू को मंगल गीत पूर्वक विदा करे ।
विवाह के दूसरे दिन वर वधू मंदिर के दर्शन करें। इस समय पंचायत (गोड) की ओर से जो सोलाणा में ध्वजा आदि के नामपर रकम ली जाती है वह यथाशक्ति ही लेना चाहिए । पश्चात् यदि विनायक यंत्र घर में स्थापित किया हो तो विनय पूर्वक मंदिर में विराजमान कर देना चाहिए ।
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