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तथा ४ अंगुल ऊंचा शास्त्रानुसार स्थडिल बनजाता है। उन्हें केवल रख देने और ऊपर से मिट्टी बिछा देने से काम चल जाता है और कारीगर की आवश्यकता नहीं रहती। घाटू १ हाथ लम्बा होता है। हवन द्रव्यों को इमानदस्ते में कुटाकर मिला लेना चाहिए ।
विनायक यन्त्र का आकार ।
साहूलोगुत्तमा
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कवलि पएणत्तो धम्मोलोगुत्तमा
अरिहंत सिन
जमा लोगुत्तमा
केवलि पण्णत्तो धम्मोमंगलम्
मापव्वज्जामिन
अरिहंत सरण/सिन
शिवज्जामि।
बंगलममगलमा
भि पव्वजामि
सरण साहू सरणं
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