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( २२ ) है वहाँ से मिली हुई मूर्तियाँ तथा स्तूप भगवान महावीर के समय से भी पुराने हैं।
११-मथुरा से १४ मील के फासले पर परखम ग्राम है। वहाँ के खोद काम से मिली हुई मतियाँ विक्रम पूर्व २५० वर्षों की हैं।
१२-नागोर ( मारवाड़ ) के बड़े मन्दिर में सर्व धातु की कई मतियाँ हैं जिनमें एक मत्ति पर वीर० ३२ वर्ष का शिलालेख खुदा हुआ है।
१३-घन कटक प्रान्त के भूगर्भ से मिली हुई जैन मूर्तिएँ चक्रवर्ती खारवेल के दो सौ वर्ष पहले की हैं ।
१४-वैनातट के खुदाई काम से प्राप्त हुई जैन मूर्तियाँ भी २३०० वर्षों की प्राचीन हैं।
१५--श्रावस्ती नगरी के पास में खोदाई का काम करते समय भूगर्भ में से एक संभवनाथ का मन्दिर मिला है। वह भगवान् महावीर के समय का या उनसे भी प्राचीन है।
१६–बौद्धग्रन्थ “महावग्ग" से पता मिलता है कि बुद्धदेव ने अपना धर्म प्रचार करने के निमित्त जब राजगृह में पदार्पण किया था तब वे सुपार्श्वनाथ के मन्दिर में ठहरे थे। जिसका समय भगवान महावीर के सम सामयिक है । पर वह सुपार्श्वनाथ का मन्दिर कितना पुराना होगा।
१७-सम्राट् चन्द्रगुप्त ने अपने शासन समय में एक यह भी कानून बनाया था.कि जो कोई व्यक्ति देवस्थानों के लिये यद्वातद्वा वचन बोलेगा या किसी प्रकार के उनकी प्राशातना करेगा वह महान दंड का पात्र समझा जायगा । जैसा कि लिखा है:Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com