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( १९ ) कोई ३७ वर्ष उससे पहिले स्थापित हुई थी परन्तु मोहम्मद की चढ़ाई के पीछे भी स्थापित की गई मूर्तियाँ वहाँ मिली हैं इससे जान पड़ता है कि दसवीं और ग्यारहवीं शताब्दी में मथुरा में जैन श्वेताम्बरों की काफी संख्या थी और वे वहाँ के (मथुरा के ) मन्दिरों में सानन्द पूजा अर्चा करते थे। उनके साथ बहुत कम रोक टोक की जाती थी, अतएव इन सब बातों से पाया जाता है कि एक समय मथुरा जैन धर्माऽवलम्बियों का भी केन्द्र था। ___कंकाली टीला की खुदाई का काम अभी तक पूरा नहीं हुआ है । यदि क्रमशः उसकी खुदाई का काम होता रहेगा तो उम्मेद है कि इसके अन्दर से और भी अनेक प्राचीन साधन जो कि ऐतिहासिक क्षेत्र पर पूर्ण प्रकाश डालने वाले सिद्ध होंगे, प्राप्त होते जायेंगे।
प्राचीन ऐतिहासिक सामग्री केवल मथुरा के कंकाली टीला के खोद काम करने से ही जैन मन्दिर मूर्तियाँ आदि निकली हों सो बात नहीं है किन्तु और भी अनेक जगहों से जहां जहां खुदाई का काम हुआ है वहां वहां से भूगर्भ में से अनेक प्राचीन पदार्थ मन्दिर मूर्तियाँ आदि प्राप्त हुए हैं । सर्व साधारण की सुविधानुसार कतिपय उदाहरण यहां उद्धृत कर दिए जाते हैं।
१-श्री स्थम्भन तीर्थ में एक पार्श्वनाथ की प्राचीन मूर्ति है उसके पृष्ट भाग में एक शिलालेख खुदा हुआ है उसमें लिख 1 है कि:
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