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श्री जगद्गुरु जी का संक्षिप्त परिचय । मुगल सम्राट अकबर को प्रतिबोध देकर अहिंसा परमो. धर्म का अनुरागी बनाने का मुख्य श्रेय जगद्गुरु श्रीहीरविजय सूरीश्वर जी को ही है। इसके अनेक एतिहासिक प्रमाण विद्यमान हैं। हम यहां पर थोड़े से एतिहासिक प्रमाणों के साथ, सूरीजी का संक्षिप्त परिचय भी देते हैं। जिस से सुज्ञ पाठक भली प्रकार समझ सकेंगे कि उस महापुरुष ने कितना पुरुषार्थ और प्रयत्न कर अपने समय के विद्यमान बादशाह सूबेदार, और अन्यान्य राजा महाराजाओं को धर्मोपदेश देकर जगदगुरु विरुद को सुशोभित किया था।
सूरीजी महाराज का जन्म वि.सं. १५८३ में मार्गशीर्ष शुक्ला १ सोमवार को गुजरात के उत्तरी किनारे स्थित पालनपुर शहर में हुआथा। श्राप पोसवाल जाति के थे। आप के पिता का नाम कुराशाह और माता का नाम नाथीबाई था। आप का नाम हीरजी था। आप की बुद्धि-मेधा बहुत ही तेजस्वी थी, इतनी छोटी अवस्था में ही आपने पाँचो प्रतिक्रमण जीव बिचार, नवतत्व संग्रहणीसूत्र, योग शास्त्र, उपदेशमाला, दर्शन सीत्तरी चउशरणषयन्ना संग्रह इत्यादि धार्मिक ज्ञान प्राप्त किया था। हीरजी जब बारह वर्ष के हुए तब इनके माता पिता का स्वर्गवास हो गया। बाद में हीरजी को वैराग्य प्राप्त होने से १३ वर्ष की छोटी सी अवस्था में वि. सं. १५६६ में मार्गशिर्ष शुदी २ सोमवार को ८ व्यक्तियों के संग, गच्छाधिपति शासन सम्राट आचार्य श्री विजयं दाल सरिजो
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