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________________ (३) श्रीसिद्धम शब्दानुशासन (लघुवृत्ति) धातुपाठ सहित । कलिकाल सर्वज्ञ श्रीमद् हेमचन्द्राचार्य महाराजना बनावेलो, महा चमत्कारी अने अल्प प्रयासथी अति बोधदायक आव्याकरणनो ग्रन्थ खरेखर, संस्कृत विद्याना दरेक अभ्यासीने आशिर्वाद रूप छे. आ व्याकरणनो ग्रन्थ सर्व व्याकरणमां शिरोमणि छे, तेमज तेना अभ्यासकने बीजा कोइ व्याकरणनी अपेक्षा रहेतीनथी तेनी खातरी आ ग्रन्थनो अनुभव लेवाथी थया विना रहेशे नहिं. विद्यार्थिने सुगम थाय तेटला सारु धातुपाठनुं प्रकरण पण आपवामां आव्युं छे, आ ग्रन्थ अमूल्य छे छतां तेना कदना प्रमाणमां किंमत मात्र रु० २८-० राखवामां आवीछे ते जुन छे, अने ते उपरान्त तेना ग्राहकने हैमलिंगानुशासन भेट आपवामां आवे छे । पोस्टेज जूनुं । (४) गुर्वावली चरिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामीथी लड़ने दरेक तपागच्छना आचार्योनी क्रमवार पट्टावली अति मधुर भाषामां वर्णववामां आवेली छे. विद्वद्वर्य श्रीमन्मुनिमुन्दरसूरि विरचित आ ग्रन्थ संस्कृत श्लोकबद्ध छे. अने तेनो अभ्यास करवाथी दरेक पवित्र आचार्येना गुण, तथा चरित्रनो बोध थवा साथ काव्य नं ज्ञान पण सहेज थइ शकशे. माटे ते ग्रन्थ दरेक जैन साधर्मि भाइए पठन करवा लायक तेमज खास संग्रह करवा लायक छे. किंमत आना ८ पोस्टेज जूनुं । इत्यलम् ॥ मलवानुं ठेकाणं श्रीयशोविजयजी जैनपाठशाला बनारस सीटी । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034840
Book TitleGurvavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMunisundarsuri
PublisherYashovijay Jain Pathshala
Publication Year1907
Total Pages122
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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