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________________ श्री सद्गुरुस्तवन. राग उपरनोशरण बुद्धिसागर गुरुनु सारं; ___ जेनुं ज्ञान पीयूष लागे प्यारं. शरण० ए टेक. रुडी मुक्तिनी जुक्ति बतावे, ज्ञानदीप सहज प्रगटावे: __दीलडा केरा दोष दबावे. शरण० ॥२॥ शरणे आव्यानी लज्जा राखे, अज्ञानने नीवारी नांखे, ___ भव्य वाणी वदनथकी भाखे. शरण ॥२ रुडी सद्गुरु कल्पनी छाया, राखे शिष्य उपर मांधी माया; __ शुद्धव्रतधारी श्री गुरुराया. शरण० ॥३॥ धर्मध्यान निरंतर धार्यों, कैक नर अने नारी उगार्यो: विश्वसरितामां डूबतां तार्यो. शरण ॥४॥ ब्राह्मण क्षत्रियो जेने वखाणे, जोगी जंगम पण जेने जाणे: ___ स्त्रीस्तीलोकोय प्रेमे प्रमाणे. शरण० ॥५॥ हिंसावाला अहिंसक कीधा, दारु पीताने उपदेश दीधा; आप ज्ञाने नक्की नथी पीता. शरण० ॥६॥ वीडी चलमो पण कैनी तजावी, गुजरातने ज्ञाने गजावी; जैन कोममां आणावर्तावी. शरण० ॥७॥ आप सरखा हवे ओछा थाशे, गुण घडीभरना संगी गाशे; ___पाप गुरुविना कम कपाशे ? शरण ॥८॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034839
Book TitleGurupad Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherShamaldas Tuljaram Shah
Publication Year1926
Total Pages122
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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