SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 47
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३६ गुरु आरति, जयदेव जयदेव जय जय गुरुदेवा, गुरु जय जय गुरुदेवा, बुद्धिसागर महाराजा, सफल करो सेवा; जयदेव जयगुरु देव. ॥१॥ निर्मल ज्ञान विचार, धर्म तणा ज्ञाता; गुरु धर्मतणा ज्ञाता; महिमा केम कथाय, पाप ताप त्राता; जयदेव जयगुरु देव ॥२॥ सफल कयौं अवतार, बोध को जनने, गुरु बोध कों जनने; योगे निर्मल कीधां, तन साथे मनने; जयदेव जयगुरु देव. ॥३॥ ब्रह्मचर्य व्रतधारी, सिद्ध पुरुष साचा; गुरु सिद्धपुरुष साचा; कयतां आप प्रताप, विरामती वाचा; जयदेव जयगुरु देव. ॥४॥ पावन परम सदाय,प्रभुनां ध्यान धर्या,गुरु प्रभुनां ध्यानधाँ; शुद्ध अहिंसा ज्ञाने, कल्मष दूर कों; जयदेव जयगुरु देव. ॥५॥ वचने सिद्धि अपार,जन सघला जाणे, गुरु जन सघलाजाणे; शेठ श्रीमंत महीप, मर्यादा माने; '' जयदेव जयगुरु देवा. ॥६॥ भाव आरती लइने, प्रेमदीपक करीये, गुरु प्रेमदीपक करीये, सद्गुरुपद सेवीने, भवसागर तरीये; जयदेव जयगुरु देव ॥७॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.034839
Book TitleGurupad Puja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAjitsagarsuri
PublisherShamaldas Tuljaram Shah
Publication Year1926
Total Pages122
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy