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एक भाग्यवान व्यापारी ..(३५) ऐश्वर्य एवं सम्पत्ती मिलनी ही चाहिये । उसका आयुर्बल ६३ वर्ष तक अच्छा रहेगा,-'बुध-भाग्य' रेखा इसका कारण है। 'शनि कर्क-तत्व का' होने से माता के पुण्य-प्रताप से, समुद्र के निकट रहने से, भाग्योदय हो; इसी के साथ कर्कतत्व के कारण 'वनस्पति-तत्व' का बोध मानना चाहिये । वनस्पति-सम्बंधी (वनस्पति घी नहीं!) सुगंध-सामग्री का व्यापार होना स्पष्ट भासता है। शनिका कर्कतत्व के साथ सम्बंध होने से ऐसा प्रतीत होता है कि ऐसे व्यक्तिका जन्म जलाशय के निकट होना चाहिये-दूसरे शब्दो में, कर्क के शनि का ऐसा अभिप्राय है कि ऐसे व्यक्ति का भाग्योदय शनि-कृपा से सागर की भांति अपार हो गा। बायें हाथ की बुध अंगुली ऐसे प्रमाण के लिये देखनी चाहिये। यदि यह उंगली सरल है तो उससे जरूर सहायता मिलती है। श्री हर गोविंददास के दाये हाथ की मस्तक रेखा अथवा बुद्धिरेखा सरल है और रविरेखा या ' यश की रेखा' का प्रवाह भी बड़ा अच्छा है। __ इस दृष्टिसे प्रत्येक व्यापारी यदि आपना हाथ देख कर और यह मालूम करके कि 'शनिदेव किस दिशा में लाभ देंगे!' व्यापार करेंगे तो उनको व्यापार में बड़ी सफलता मिलेगी। शनिदेव की कृपा से व्यापार बढ़ेगा और यश सम्पत्ति और कीर्ति विकसित होती जावेगी। श्री हर गोविंद दासजी की हस्तरेखा से यह स्पष्ट हो गया है ।
"अनुद्योगिकरालम्बं करोति कमलाग्रजा (मलक्ष्मी)॥"
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