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प्रस्तावना। श्रीयुत पं. शंकर दिनकर करंदीकर बंबई के एक प्रसिद्ध हस्तरेखाविज्ञान-विद् है । इन्होंने अपने ज्ञान के विषय के कई अच्छे अच्छे ग्रन्थ प्रकाशित किये हैं जो जनसमाज को उपादेय मालूम दिये हैं । ___ करंदीकरजी अच्छे विद्वान् तो हैं ही साथ में ये अच्छे सहृदय सजन भी हैं आर ऐसे सहृदयी सज्जनों का समागम और सत्कार करने में ये सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण, प्रस्तुत पुस्तिका है जिसमें इन्होंने हमारे परम स्नेहास्पद एवं अनन्य बन्धुसदृश सेठ हरगोविन्द दास रामजी के सद्गणी जीवन का कुछ शब्दचित्र अंकित किया है।
सेठ हरगोविन्द दास रामजी बंबई के सुप्रसिद्ध व्यापारी वर्ग की उन अत्यल्प पक्तियों में से एक हैं जिनने अपने जीवन और व्यवहार को सदैव सत्य, सादगी और साधुता को लक्ष्य में रख कर चलाने का प्रयत्न किया है और करते रहते हैं। सेठ हरगोविन्द दास के सद्गुणी जीवन का मुझे कोई ३२-,३३ वर्ष से बहुत ही घनिष्ठ परिचय है। भाई श्री हरगोविन्द दास एक
आदर्शवादी और अतिकुशल व्यापारी हैं और साथ में बडे निष्काम दानी और संयमशील ज्ञानी है। पं. श्री करन्दीकरजी ने जो इनके ऐसे आदर्शभूत गृहस्थ जीवन के विषय में इस छोटी मी पस्तिका में जो कुछ लिखा है वह सर्वथा समुचित और समादरणीय है एवं अन्यान्य धनिक और व्यापारिक वर्ग के गृहस्थों के लिये परम अनुकरणीय है। जयपुर
मुनि जिनविजय
__ ऑनरेरि डायरेक्टर-भारतीय विद्याभवन, बंबई; दि. २ अक्टूबर, ५०
तथागान्धी जयन्ती समान्य संचालक-राजस्थान पुरातत्वमंदिर, जयपूर
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