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दायकनाव तत्वविलास ग्रंथमांगपतां उदा
रही गयेला ते.
ग्रंथ मंगळाचरणना दुहा. ___ नमुं निरंजन सिद्धने, पूगल योगातित ॥ नमुं सयोगि जीनेंद्रने, 9) अयोगी शैलेसि स्थित ॥ १॥ नमुं क्षिणमोह ठाणमां, चरण यथाख्यात
वंत ॥ ए संसार निरबीजता, सर्व सिद्ध वधुकंत ॥२॥क्षायक लब्धिवंतए & महामंगलिक महंत ।। शुद्ध परीणतिमा वसे, सहज भाव शीव संत. ॥३॥
ज्ञाने ए पद पाइये, तीणे रचुं ग्रंथ थीर भाव।।क्षायक तत्व विलासए, संसार
तारण नाव ।। ४ ॥ क्षायकभेद अनंत छे मुखशुं कह्या न जाय ॥ क्षायक 9 नव भेदे कडं, ज्युं कर्मग्रंथ चोथे कहाय ॥ ५ ॥ समाकितने चारित्रए, P) केवलज्ञान दरशंन ॥ दान लाभने भोगए, उपभोग वीर्य घंन ॥६॥ है ए नव लब्धि गाइए, नव तत्व संयुक्त ॥ अनुभव योगे ध्याइये, थिर : उपयोगे युक्त ॥ ७॥
पेहेली ढाळनी पूर्णताये दुहा.-समकित मोहान छेल्लो अणुं, खपतां वेदक कहाय ॥ एक समय स्थिति तेहनी, त्यां क्षायक समकित पाय ॥१॥ क्षायक चारित्र आतमा, परमातम वीतराग ॥ मोह ध्वंस करी हुआ, ठाण बारमे शिव माग ॥२॥ रागद्वेष अवळी दशा, पुद्गल संग उपयोग। छेदी सवळा सनमुखे, शुद्ध पंरिणति संयोग ।। ३॥
बीजी ढाळनी पूर्णताये दुहा.-क्षीणमोह ठाण अंतमें, त्रण कर्म करे नाश सात गुण लब्धि त्यां लहे, गुणठाण तेरमे वास ॥१॥
त्रीजी ढाळनी पूर्णताये दुहा. द्रव्य सक्ति ओळखावशू, सामान्यज्ञान ६ विचार ॥ सर्व द्रव्यमां संपजे, ते सामान्य एम धार ।। १ ॥ द्रव्यनो भेद
जीहां पडे, जीवधी भिन्न सो अजीव ॥ ते विशेष एम जाणीए, ज्ञानी
वचने सदीव ॥ २॥ सामान्य द्रव्यार्थक ए, पर्यायार्थक विशेष । एक ९ द्रव्यनी वृत्तिए, लाधे सामान्य विशेष ॥ ३॥ ४ चोथी ढाळनी पूर्णताये दुहा.-द्रव्य स्वरुपए दाखीयु, दाख्यो स्या9) दाद धर्म ॥ द्रव्य पर्यायने जाणता, टळे मिथ्या मति भ्रम ॥ १ ॥ PawarenderwagersMERA
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